औरंगाबाद का अदरी नदी से गहरा नाता है, लेकिन आज यह नदी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। कभी सालों भर पानी से लबालब रहने वाली अदरी नदी अब सूखने के कगार पर है। इस नदी का पानी अब इतना प्रदूषित हो चुका है कि इसका उपयोग गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
प्रदूषण का मुख्य कारण: घरेलू कचरा और औद्योगिक अपशिष्ट
औरंगाबाद की इस जीवनरेखा में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। पीएचईडी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अदरी नदी के पानी में टर्बिडिटी का स्तर अत्यधिक बढ़ गया है, जो जल की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। नदी में बहाए जा रहे घरेलू कचरे और औद्योगिक अपशिष्ट के कारण पानी जहरीला होता जा रहा है, जो न सिर्फ पर्यावरण को बल्कि औरंगाबाद के निवासियों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल रहा है।
'अदरी बचाओ आंदोलन' में जुटे लोग
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औरंगाबाद की अदरी नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने और उसके अस्तित्व को बचाने के लिए शहर के लोगों ने 'अदरी बचाओ आंदोलन' की शुरुआत की है। इस आंदोलन की अगुवाई भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला उपाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे अदरी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। इस मुहिम के तहत स्थानीय लोग नदी किनारे सफाई अभियान चला रहे हैं, जनजागरण कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं, और सरकार से इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने की अपील कर रहे हैं।
सरकारी हस्तक्षेप और जनहित याचिका की योजना
अदरी बचाओ आंदोलन के अंतर्गत लोग सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। लोगों ने जनहित याचिका दायर करने की भी योजना बनाई है ताकि अदालत के माध्यम से नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जरूरी आदेश दिए जा सकें। यह जनभागीदारी का एक सशक्त उदाहरण है, जहां आम नागरिक अपनी नदी के अस्तित्व के लिए खुद आगे आए हैं।
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