Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब पूरी तरह गर्म हो चुका है। एनडीए (NDA) गठबंधन में सीट बंटवारे के बाद सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। खासकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बदलते रुख ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। एक तरफ वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले पर भरोसा जताते दिखे, वहीं दूसरी ओर छह सीटें मिलने पर नाराज़गी भी जाहिर की।
NDA Seat Sharing पर मचे घमासान से बढ़ी सियासी हलचल
Bihar Elections 2025 से पहले एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर सहमति तो बन गई, मगर संतुष्टि सभी दलों में नहीं दिख रही। भाजपा (BJP) और जेडीयू (JDU) ने बराबर-बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जबकि लोजपा (रा) को 29 सीटें और हम पार्टी व रालोमो को 6-6 सीटें दी गई हैं।
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धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने पटना प्रेस कॉन्फ्रेंस (Patna press conference) में कहा था कि “NDA पूरी एकता के साथ चुनाव लड़ेगा”, लेकिन मांझी के बयान ने इस एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह पहला मौका नहीं है जब सीट बंटवारे के बाद सहयोगियों में मतभेद देखने को मिले हैं। पिछली बार भी एनडीए गठबंधन (NDA गठबंधन) के भीतर ऐसे बयानबाज़ी देखने को मिली थी।
मांझी के पलटते बयान और राजनीतिक समीकरण
शुरुआत में मांझी ने कहा कि उन्हें केवल छह सीटें दी गई हैं, फिर भी वे प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा करते हैं। लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को कम आंकना एनडीए के लिए महंगा साबित हो सकता है। कुछ ही देर बाद उन्होंने अपने बयान से यू-टर्न लेते हुए कहा कि वे “जो मिला उसी में खुश” हैं और “हम पीएम मोदी के फैसले का सम्मान करते हैं।”
यह बयान राजनीतिक रूप से संकेत देता है कि मांझी का ध्यान हम (Hindustani Awam Morcha) के अस्तित्व को बनाए रखने और गया क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने पर है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयानबाज़ी बिहार की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जहाँ हर दल अपनी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश में है।
Bihar Election 2025: सीट बंटवारे से लेकर पहले चरण के मतदान तक का रोडमैप
एनडीए की लिस्ट लाइव (NDA list live) के मुताबिक, पहला चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को तय है। इस बार चुनाव में लोकल मुद्दों के साथ-साथ केंद्र सरकार की नीतियों पर भी जनता का मूड देखने को मिलेगा। एनडीए गठबंधन में जहां भाजपा और जेडीयू अपनी पुरानी रणनीति पर कायम हैं, वहीं छोटे दलों को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। राजनीति विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का चुनाव जातीय समीकरण से ज़्यादा विकास और विश्वसनीयता पर टिका होगा।
NDA में मांझी की भूमिका और बिहार की बदलती राजनीति
एनडीए में जीतन राम मांझी की भूमिका हमेशा संतुलनकारी रही है। वह न केवल दलित समुदाय के बड़े नेता हैं, बल्कि गया, जहानाबाद और औरंगाबाद जैसे इलाकों में निर्णायक वोट बैंक रखते हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मांझी के बयान केवल “Negotiation Politics” का हिस्सा हैं, ताकि उनकी पार्टी को भविष्य में राज्य या केंद्र सरकार में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
फिलहाल एनडीए में यह विवाद छोटा लग सकता है, लेकिन चुनावी समीकरणों पर इसका असर निश्चित रूप से पड़ेगा। अगर बीजेपी (BJP candidate list) और जेडीयू (JDU) इस बार तालमेल बनाए रखती हैं, तो एनडीए की स्थिति पहले से मजबूत रह सकती है। बिहार की सियासत में हर बार की तरह इस बार भी सीट शेयरिंग बड़ा मुद्दा बन गया है। जीतन राम मांझी के पलटते बयान इस बात का संकेत हैं कि बिहार चुनाव 2025 में राजनीतिक समीकरण लगातार बदलते रहेंगे।
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