Bihar Election 2025: 17 अक्टूबर 2025 को बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ देखने को मिला। लंबे समय से चल रही खींचतान के बाद आखिरकार महागठबंधन (Mahagathbandhan) में सीट शेयरिंग को लेकर समझौता हो गया है। Vikassheel Insaan Party (VIP) प्रमुख मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) को 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की मंजूरी मिल गई है। सबसे अहम बात यह रही कि तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने दरभंगा की गौरा बौराम (Gaura Bauram) विधानसभा सीट अपने सहयोगी सहनी के लिए छोड़ दी है।
Bihar Election 2025 में Mahagathbandhan का नया समीकरण
बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhan Sabha Chunav) से पहले यह समझौता राजद (RJD), कांग्रेस और वीआईपी (VIP) के लिए एक राहत भरी खबर है। सूत्रों के मुताबिक, इस गठबंधन को अंतिम रूप देने में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अहम भूमिका रही। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने लालू यादव से बात कर इस विवाद को खत्म किया। बताया जा रहा है कि समझौते के तहत मुकेश सहनी को एक राज्यसभा (Rajya Sabha) और एक एमएलसी (MLC) सीट की पेशकश भी की गई है।
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यह डील राजनीतिक रूप से काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी, निषाद समाज के वोटरों पर अच्छी पकड़ रखती है। बिहार में निषाद समुदाय की आबादी लगभग 2.6% है, जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है।
मुकेश सहनी की बढ़ी राजनीतिक ताकत
“सन ऑफ मल्लाह” के नाम से पहचाने जाने वाले मुकेश सहनी, पहले फिल्म प्रोडक्शन से राजनीति में आए थे। बीते कुछ वर्षों में उन्होंने बिहार की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हालांकि कई बार उन्हें राजनीतिक अस्थिरता का सामना भी करना पड़ा, लेकिन अब महागठबंधन में उनकी एंट्री से पार्टी के हौसले बुलंद हैं।
Political News रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सीट शेयरिंग वीआईपी को पुनर्जीवित कर सकती है। गौरा बौराम सीट से खुद सहनी के चुनाव लड़ने की संभावना है, जिस पर अब राजद (RJD) अपना सिंबल वापिस ले रही है।
Bihar Chunav 2025 का प्रभाव और भविष्य की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह समझौता केवल सीट शेयरिंग नहीं बल्कि एक Pressure Politics का परिणाम भी है। महागठबंधन में अगर यह समन्वय नहीं बनता, तो वीआईपी के अलग होने से वोटों का बड़ा नुकसान हो सकता था।
इस बीच, भाजपा (BJP) और जेडीयू (JDU) भी अपने स्तर पर चुनावी रणनीति को मजबूत कर रही हैं। आने वाले हफ्तों में list of candidates (उम्मीदवारों की सूची) जारी होने के बाद चुनावी माहौल और गरमाने वाला है।
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण, गठबंधन की राजनीति और व्यक्तिगत करिश्मा सबसे बड़ा फैक्टर होते हैं। हर बार की तरह इस बार भी Bihar Vidhan Sabha Election में सामाजिक संतुलन ही परिणाम तय करेगा। इस चुनाव में युवा नेतृत्व, महिला भागीदारी और विकास के मुद्दे प्रमुख रहेंगे।
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