बिहार के समस्तीपुर जिले में छठ पर्व की तैयारियों के साथ मिट्टी के चूल्हों की मांग तेजी से बढ़ी है। यह महापर्व आधुनिकता के बावजूद परंपरागत रीति-रिवाजों और आस्था से मनाया जाता है, जिसके कारण छठ का प्रसाद विशेष रूप से मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है। समस्तीपुर और आसपास के इलाकों में लोग सामान्य दिनों में गैस चूल्हे का उपयोग करते हैं, लेकिन छठ जैसे महत्त्वपूर्ण त्योहार पर मिट्टी के चूल्हे की विशेष मांग रहती है।
छठ के दौरान समस्तीपुर में बढ़ी मिट्टी के चूल्हे की मांग | Demand For Earthen Stove Increases During Chhath
समस्तीपुर के बहादुरपुर बूढ़ी गंडक बांध के पास कई परिवार दशहरे के बाद मिट्टी के चूल्हों का निर्माण करते हैं और छठ पर्व के दौरान इन्हें बेचते हैं। महंगाई के कारण इन चूल्हों की कीमत में पिछले वर्ष की तुलना में 30-40 रुपये की वृद्धि हुई है। पिछले साल जो चूल्हे 50-60 रुपये में बिकते थे, इस वर्ष उनकी कीमत 80-100 रुपये तक पहुंच गई है। Samastipur News के अनुसार, इस बढ़ती मांग के मद्देनज़र लोग दशहरे के बाद से ही निर्माण कार्य में जुट जाते हैं।
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छठ पर्व में मिट्टी के चूल्हे का महत्व | Chhath Festival Brings Demand For Earthen Stoves in Bihar
पुरानी दुर्गा स्थान की रेखा देवी पिछले तीन वर्षों से छठ के लिए विशेष रूप से मिट्टी के चूल्हे बना रही हैं। वह बताती हैं कि छठ के दौरान खरना का प्रसाद और अर्घ्य के ठेकुआ जैसे पकवान इसी चूल्हे पर तैयार किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मिट्टी को शुद्ध माना जाता है, जिससे छठ पर्व के समय इसका महत्व और बढ़ जाता है। बिहार के समस्तीपुर में छठ के दौरान मिट्टी के चूल्हों की मांग का असर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी देखा जा सकता है, जिससे इस व्यापार में जुड़ी महिलाओं की आय बढ़ जाती है।
शहरी क्षेत्रों में बढ़ी छठ के लिए मिट्टी के चूल्हों की मांग | Samastipur News Highlights Demand For Earthen Stoves
रेखा देवी कहती हैं कि विजयादशमी के बाद से ही वह चूल्हे का निर्माण शुरू कर देती हैं। इस निर्माण में मिट्टी लाने से लेकर घास मिलाने, उसका ढांचा तैयार करने और उसे सुखाने तक की प्रक्रिया में 10-15 दिन का समय लगता है। Samastipur News के अनुसार, दीपावली के बाद से खरना तक चूल्हों की बिक्री तेजी से होती है, जिसमें मुख्य ग्राहक शहरी इलाकों के लोग होते हैं, जो आम दिनों में गैस चूल्हे का उपयोग करते हैं, लेकिन छठ पर्व पर मिट्टी के चूल्हे का उपयोग करते हैं।
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