बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी माहौल तेज़ हो गया है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने पटना में हुए एक कार्यक्रम में बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस बार 243 सीटों में से 40 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी। साथ ही उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक नए सामाजिक-राजनीतिक गठबंधन की ज़रूरत पर जोर दिया। यह बयान आने के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है और सभी दल अब मुस्लिम वोट बैंक को साधने में जुट गए हैं।
जन सुराज पार्टी की रणनीति और बिहार की राजनीति
प्रशांत किशोर ने ‘बिहार बदलाव’ कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश के करीब 50% हिंदू बीजेपी की विचारधारा के साथ नहीं हैं। उनका कहना है कि गांधी, जयप्रकाश नारायण, अंबेडकर और लोहिया की सोच पर विश्वास करने वाले हिंदू, अगर मुस्लिम समाज के साथ मिल जाएं, तो बिहार और देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है।
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इस ऐलान के साथ ही बिहार की सियासत में Bihar politics का एक नया समीकरण बनने की संभावना दिख रही है। जन सुराज पार्टी का दावा है कि वह सिर्फ MY (मुस्लिम-यादव) फॉर्मूले पर नहीं, बल्कि बड़े सामाजिक गठबंधन पर काम करेगी। इस कदम से पटना समेत पूरे प्रदेश में सियासी चर्चाओं का माहौल गर्म हो गया है।
RJD और अन्य दलों पर सीधा हमला
प्रशांत किशोर ने मंच से RJD पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राजद मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती है लेकिन उन्हें उनकी आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व नहीं देती। किशोर ने यहां तक कहा कि अगर राजद मुस्लिम प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करे तो उनकी पार्टी उन्हीं सीटों पर हिंदू उम्मीदवार उतारेगी।
यह बयान आने के बाद JDU और कांग्रेस भी दबाव में आ गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर जन सुराज पार्टी मुस्लिमों और गांधीवादी हिंदुओं के बीच गठजोड़ बना पाती है, तो यह समीकरण NDA और बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है। यह साफ है कि आने वाले चुनावों में यह मुद्दा चर्चा के केंद्र में रहेगा।
मुस्लिम वोट बैंक और नई सियासी दिशा

बिहार में मुस्लिम वोट बैंक हमेशा से निर्णायक रहा है। लंबे समय से यह वोट बैंक RJD और कांग्रेस के साथ रहा, लेकिन 2020 के चुनाव में AIMIM ने सीमांचल में इसकी हिस्सेदारी बढ़ाई थी। अब जन सुराज पार्टी भी इसी दिशा में काम कर रही है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि Muslims अगर किसी एक गठबंधन के साथ मजबूती से खड़े हो जाएं, तो परिणामों पर सीधा असर पड़ सकता है। यही कारण है कि इस बार भाजपा और महागठबंधन के साथ-साथ प्रशांत किशोर की पार्टी भी इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है। इससे यह साफ है कि आने वाले समय में Bihar elections में मुस्लिम वोट बैंक का खेल सबसे बड़ा फैक्टर होगा।
बिहार चुनाव 2025 का बढ़ता महत्व
बिहार विधानसभा चुनाव हर बार राष्ट्रीय राजनीति पर असर डालता है। 2025 का चुनाव भी अलग नहीं होगा। यहां के नतीजे विपक्षी एकजुटता और सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहे नेताओं के लिए संकेत तय करेंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर जन सुराज पार्टी अपने घोषित एजेंडे पर डटी रही, तो वह पारंपरिक समीकरणों को चुनौती दे सकती है। वहीं, BJP और महागठबंधन दोनों ही अपने-अपने स्तर पर वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में हैं। यही वजह है कि इस बार का Bihar Chunav केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चर्चा का मुद्दा भी बनने वाला है।
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