Vibhutipur Damaged MGNREGA Road: बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड में हाल ही में बनी एमजीएनरेगा की सड़क बारिश की पहली ही मार झेल न सकी और पूरी तरह बह गई। ग्रामीणों ने सड़क की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकारी योजनाओं में Corruption और लापरवाही की वजह से जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है। इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण विकास योजनाओं की असलियत को सामने ला दिया है।
सड़क बहने से ग्रामीणों को हुई भारी परेशानी

विभूतिपुर की यह सड़क हाल ही में मनरेगा योजना के तहत बनाई गई थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सड़क पर लाखों रुपये खर्च हुए, लेकिन बारिश के कारण सड़क पूरी तरह टूट गई। नतीजा यह हुआ कि अब लोगों का आवागमन मुश्किल हो गया है। Damaged MGNREGA Road की वजह से कई गांवों का संपर्क कट गया है। बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत हो रही है और किसानों को अपनी उपज बाजार तक ले जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। यह घटना इस बात का सबूत है कि काम के दौरान गुणवत्ता का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया।
सरकारी दावे बनाम हकीकत
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सरकार और प्रशासन अक्सर दावा करते हैं कि ग्रामीण इलाकों की सड़कों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। कई स्थानों पर सड़कें बनने के कुछ महीनों बाद ही टूटने लगती हैं। Bihar में यह कोई नई घटना नहीं है। पिछले साल भी समस्तीपुर जिले के कई प्रखंडों में ऐसी सड़कें बारिश में बह गई थीं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक निर्माण कार्य की सही मॉनिटरिंग नहीं होगी, तब तक जनता का पैसा बर्बाद होता रहेगा।
लोगों का यह भी आरोप है कि ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया सामग्री का इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि सड़कों की उम्र लंबी नहीं होती।
Corruption और जिम्मेदारियों पर उठ रहे सवाल
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस सड़क के निर्माण में लगे ठेकेदार और अधिकारियों की जांच हो। उनका कहना है कि अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो आगे भी ऐसे मामले सामने आते रहेंगे। जानकारों का कहना है कि ग्रामीण विकास योजनाओं में पारदर्शिता बेहद ज़रूरी है। एमजीएनरेगा जैसी योजना का मकसद लोगों को रोजगार और बेहतर आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराना है। लेकिन Corruption और लापरवाही की वजह से यह योजना अपने असली उद्देश्य से भटक जाती है।
यह सड़क बहने की घटना केवल विभूतिपुर तक सीमित नहीं है। बिहार के कई जिलों में इसी तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। इससे साफ होता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं बड़ी खामी है।
जनता की उम्मीदें और समाधान की राह
ग्रामीणों का कहना है कि अगर सड़क की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता तो यह इतनी जल्दी नहीं टूटती। अब वे चाहते हैं कि सड़क का दोबारा निर्माण हो और इस बार काम पूरी पारदर्शिता से किया जाए। सरकार को चाहिए कि इस मामले की जांच कराए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, भविष्य में सड़क निर्माण कार्य में आधुनिक तकनीक और गुणवत्ता मानकों का पालन किया जाए।
लोगों का मानना है कि जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक समस्याएं बनी रहेंगी। इसके साथ ही, स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह नियमित रूप से सड़कों का निरीक्षण करे और किसी भी तरह की गड़बड़ी पर तुरंत कार्रवाई करे।
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