Rahul Gandhi Bihar Yatra बिहार की राजनीति में गर्माहट बढ़ गई है। आज से राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मिलकर ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की है। कांग्रेस और राजद का यह बड़ा दांव आगामी विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष की एकजुटता को दिखाने वाला माना जा रहा है। वहीं, एनडीए खेमे से जीतन राम मांझी ने इस यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि इससे कोई खास असर नहीं पड़ेगा। अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह यात्रा विपक्ष को नई ऊर्जा देगी या फिर यह सिर्फ सियासी नारा बनकर रह जाएगी।
राहुल गांधी बिहार यात्रा की शुरुआत
राहुल गांधी ने आज सासाराम से Rahul Gandhi Bihar Yatra की शुरुआत की। यह यात्रा 16 दिनों तक चलेगी और करीब 1300 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसके दौरान यह कारवां 25 जिलों से होकर गुजरेगा। यात्रा का उद्देश्य वोट चोरी के मुद्दे को जनता तक ले जाना है। राहुल गांधी के साथ बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मौजूद हैं। विपक्षी गठबंधन के कई बड़े नेता इस अभियान से जुड़े हुए हैं।
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इस यात्रा में डिजिटल कैंपेन, सोशल मीडिया अपडेट और बड़े स्तर पर जनसभाओं का आयोजन भी हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह election campaign सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं बल्कि विपक्ष की mass mobilization strategy भी है।
वोटर अधिकार यात्रा पर मांझी का तंज
Rahul Gandhi Bihar Yatra
इस यात्रा पर एनडीए नेता जीतन राम मांझी ने करारा तंज कसा है। उनका कहना है कि “पत्थर पर सिर पटकने से कुछ नहीं होगा, सिर्फ सिर फूटेगा।” मांझी ने साफ कहा कि वोटर लिस्ट में सुधार जरूरी है, लेकिन इस तरह की रैलियों से कुछ हासिल नहीं होगा। हालांकि विपक्षी खेमे का मानना है कि यह यात्रा बिहारियों के सम्मान और लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक है।
तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह आंदोलन केवल चुनावी नहीं है, बल्कि बिहार और बिहारियों की अस्मिता का सवाल है।” उनकी पोस्ट को युवाओं और विपक्षी कार्यकर्ताओं का बड़ा समर्थन मिल रहा है। यह political rally जनता से सीधे जुड़ने का प्रयास मानी जा रही है। वहीं, मांझी ने चिराग पासवान पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें NDA में रहकर ही भविष्य तलाशना चाहिए।
विपक्षी रणनीति और चुनावी असर
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह वोटर अधिकार यात्रा सिर्फ एक प्रचार अभियान नहीं बल्कि जनता से सीधा जुड़ने का प्रयास है। राहुल-तेजस्वी की जोड़ी इस यात्रा से ग्रामीण इलाकों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। माना जा रहा है कि इससे बिहार चुनाव के समीकरण बदल सकते हैं।
इस बीच एनडीए भी अपनी रणनीति पर काम कर रहा है। भाजपा और जदयू संयुक्त रूप से चुनावी तैयारियां तेज कर रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष की यह पहल जनता के बीच चर्चा जरूर पैदा करेगी। अब देखना यह होगा कि आने वाले महीनों में यह यात्रा जनआंदोलन का रूप लेती है या फिर केवल एक राजनीतिक शो बनकर रह जाती है।
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