स्मार्ट मीटर विवाद: DM की सख्त चेतावनी, फैलाई जा रही भ्रांतियां बेनकाब!

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नालंदा, बिहार: बिहार में स्मार्ट मीटर को लेकर विपक्ष का विरोध जारी है, लेकिन प्रशासन इसके फायदे बताकर लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है। नालंदा के जिलाधिकारी (DM) शशांक शुभंकर ने हाल ही में प्रेस वार्ता के दौरान स्मार्ट मीटर को लेकर फैल रही भ्रांतियों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि कुछ लोग जानबूझकर गलत जानकारी फैला रहे हैं, जिससे आम जनता भ्रमित हो रही है। प्रशासन अब इस भ्रम को दूर करने में जुटा हुआ है।

स्मार्ट मीटर से जुड़ी भ्रांतियों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी

DM शशांक शुभंकर ने सख्त लहजे में उन लोगों को चेतावनी दी जो स्मार्ट मीटर के बारे में गलतफहमी फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी दफ्तरों में भी बड़े पैमाने पर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, और अब तक 875 में से 600 से अधिक सरकारी कार्यालयों में स्मार्ट मीटर स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, स्मार्ट मीटर के साथ पुराने मीटर भी रखे जा रहे हैं ताकि लोग दोनों मीटर की रीडिंग को समझ सकें और खुद अंतर देख सकें।

गांवों में जागरूकता अभियान का आयोजन

DM ने बताया कि स्मार्ट मीटर को लेकर गांवों में भ्रांतियां अधिक हैं, इसलिए गांवों में विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही पंचायत सरकार भवनों में भी स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “राजनीतिक तौर पर मुझे कुछ नहीं कहना है, लेकिन जो लोग जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं, उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।”

विपक्ष का विरोध और सियासी हंगामा

बिहार में बिजली विभाग की ओर से स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर विपक्ष, खासकर राजद (RJD), ने जोरदार विरोध जताया है। 1 अक्टूबर से राजद ने इस मुद्दे पर आंदोलन शुरू किया और घोषणा की कि पूरे बिहार से स्मार्ट मीटर उखाड़ फेंका जाएगा। राजद नेता जगदानंद सिंह का कहना था कि उनके घर में स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली की खपत ज्यादा दिख रही है और वे इसे उखाड़ देंगे।

सरकार की ओर से जागरूकता फैलाने की कोशिश

स्मार्ट मीटर को लेकर हो रही सियासत के बीच सरकार और बिजली विभाग लगातार जनता को इसके फायदों के बारे में बता रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा यह स्पष्ट किया जा रहा है कि स्मार्ट मीटर से बिजली की खपत को बेहतर तरीके से मॉनिटर किया जा सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक पारदर्शिता मिलेगी।

स्मार्ट मीटर का यह मुद्दा पूरे बिहार में बड़ा सियासी मुद्दा बन गया है, लेकिन प्रशासन जागरूकता फैलाकर इसे सुलझाने की कोशिश कर रहा है

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