13 साल बाद ‘नाग’ कांड का इंसाफ: सपेरे को 10 साल की सजा, ‘चमत्कारी’ ताबीज भी नहीं बचा सका

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Snake Case Bhagalpur: भागलपुर की अदालत ने 13 साल पुराने ‘नाग’ कांड में सपेरे मो. शमसुल को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा और 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। 2011 में सांप का खेल दिखाने के दौरान एक युवक की मौत हो गई थी, जिसमें सपेरे के चमत्कारी ताबीज का दावा भी नाकाम साबित हुआ।

13 साल पुरानी घटना, 10 साल की सजा

भागलपुर जिले की अदालत ने सपेरे मो. शमसुल को 10 साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने पाया कि 2011 में सांप का खेल दिखाने के दौरान सपेरे की लापरवाही से एक युवक की जान गई थी। एडीजे-14 विवेक कुमार की अदालत में इस मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया गया। सरकार की ओर से इस मामले की पैरवी मुहम्मद अकबर खां ने की।

क्या था ‘नाग’ कांड?

घटना 2011 की है, जब सपेरा मो. शमसुल पीरपैंती के दुलदुलिया गांव में सांप का खेल दिखाने पहुंचा। खेल के दौरान उसने भीड़ से दिवाकर राम बिंद नामक युवक को बुलाकर उसे ‘चमत्कारी ताबीज’ पहनाया, यह दावा करते हुए कि ताबीज उसे किसी भी सांप के डसने से बचा लेगा। लेकिन जब सपेरे ने एक नाग को दिवाकर के गले में लपेटा, तो कुछ ही मिनटों में नाग ने उसे डस लिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

ताबीज का दावा हुआ फेल

सपेरे ने युवक को सांप के डसने से बचाने की कोशिश भी की, लेकिन वह असफल रहा। इस घटना के बाद दिवाकर के परिजनों ने सपेरे के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कराया था।

अदालत का फैसला

13 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, अदालत ने सपेरे मो. शमसुल को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और 10 साल की सजा सुनाई।

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