पटना में मेट्रो निर्माण के दौरान हुए हादसे ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। सोमवार की रात मेट्रो टनल के पास लोको मशीन का ब्रेक फेल हो गया, जिससे दो मजदूरों की जान चली गई और छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे ने मेट्रो प्रोजेक्ट में जुड़े अफसरों और कर्मचारियों की लापरवाही पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हुआ हादसा?
हादसे की शुरुआती जानकारी के मुताबिक, लोको मशीन से मेट्रो टनल के भीतर सामान पहुंचाया जा रहा था। उसी दौरान मशीन का ब्रेक फेल हो गया, और टनल में काम कर रहे मजदूर उसकी चपेट में आ गए। मजदूरों का आरोप है कि कई बार मशीन की खराब हालत की शिकायत करने के बावजूद अफसरों ने इसे नजरअंदाज किया और उन्हें जोखिम में डाल दिया।
गीली मिट्टी का भी असर
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बताया जा रहा है कि टनल के आसपास की मिट्टी गीली हो गई थी, जिससे हादसा और भी खतरनाक बन गया। सवाल ये है कि मिट्टी की हालत इतनी खराब थी, तो क्या सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम किए गए थे? अफसरों की तरफ से सावधानी क्यों नहीं बरती गई?
सुरक्षा मानकों की कमी का बड़ा मुद्दा
पटना के कई इलाकों में जहां मेट्रो का काम हो रहा है, वहां की सड़कों की हालत भी खराब है। राजेंद्र नगर से लेकर मलाही पकड़ी और अशोक राजपथ जैसे इलाकों में भी मेट्रो निर्माण साइट्स के पास गहरे गड्ढे और कमजोर सुरक्षा उपाय देखे जा सकते हैं। इन रास्तों से गुजरने वाले लोग हमेशा खतरे में रहते हैं, फिर भी अफसरों पर कोई असर नहीं पड़ता।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
हादसे की गंभीरता को देखते हुए पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर ने इसे "दुर्भाग्यपूर्ण" करार दिया है और जांच के लिए एक उच्च स्तरीय टीम का गठन किया है। डीएम ने भरोसा दिलाया है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी हो चुके हैं हादसे
ये पहला मामला नहीं है। पहले भी पटना के कंकड़बाग में मेट्रो निर्माण के दौरान एक ऑटो मेट्रो की क्रेन से टकरा गई थी, जिसमें आठ लोगों की जान चली गई थी। बार-बार ऐसी घटनाएं होने से लोग घबराए हुए हैं और अब ये मांग कर रहे हैं कि मेट्रो परियोजना में सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाए।
निष्कर्ष: पटना मेट्रो हादसे ने अफसरों की लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर कर दिया है। मेट्रो प्रोजेक्ट के काम में सुधार और सुरक्षा को प्राथमिकता देने की जरूरत है ताकि ऐसे हादसे फिर न हों और लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।
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