पटना का राजेंद्र नगर अतिविशिष्ट नेत्र रोग अस्पताल अब होगा प्राइवेट, जानिए वजह

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बिहार के पटना में स्थित राजेंद्र नगर अतिविशिष्ट नेत्र रोग अस्पताल को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग इस संबंध में विभिन्न निजी अस्पतालों से बातचीत कर रहा है। हाल ही में बेंगलुरू के एक निजी अस्पताल के डॉक्टर और अधिकारी इस अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे हैं।

क्या है अस्पताल की स्थिति?

राजेंद्र नगर का यह अस्पताल राज्य का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परिकल्पना के अनुसार बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों के तर्ज पर स्थापित किया गया था। हालांकि, अस्पताल में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है, फिर भी यहां प्रतिदिन 300 से अधिक मरीजों को मुफ्त सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

बेंगलुरू के चिकित्सकों का निरीक्षण

रविवार को बेंगलुरू के चिकित्सकों और अधिकारियों की एक टीम ने अस्पताल का दौरा किया। इस दौरान अस्पताल के प्रभारी निदेशक डॉ. अजीत कुमार द्विवेदी ने उन्हें सभी 106 बेड और छह मॉड्युलर ऑपरेशन थियेटर की जानकारी दी। हालांकि, टीम ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे किस निजी अस्पताल से हैं, लेकिन चर्चा शंकर नेत्रालय प्रबंधन की चल रही है।

कर्मचारियों की स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

अस्पताल में काम कर रहे कर्मचारियों के अनुसार, 2020 में नए भवन का उद्घाटन हुआ था, लेकिन स्थापना के समय से यहां कोई स्थायी डॉक्टर नहीं है। वर्तमान में केवल चार प्रतिनियुक्त डॉक्टर और चार बांड डॉक्टर ही अस्पताल को चला रहे हैं। इसके बावजूद, अस्पताल प्रतिदिन चार से पांच मोतियाबिंद सर्जरी सहित कई महंगी जांचें मुफ्त में कराता है। कर्मचारियों का मानना है कि यदि चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए, तो यह अस्पताल राज्य का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र बन सकता है।

दिवाली पर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर तैयारी

दिवाली के मौके पर, सिविल सर्जन ने सरकारी और निजी अस्पतालों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। उन्होंने 24 घंटे कार्यरत रहने वाला नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का आदेश दिया है, ताकि पटाखों से जलने, सड़क दुर्घटनाओं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए त्वरित सहायता उपलब्ध हो सके।

सिविल सर्जन डॉ. मिथिलेश्वर कुमार ने बताया कि दिवाली के दौरान ओपीडी सेवा बंद रहने पर भी इमरजेंसी सेवाओं को सुनिश्चित किया जाएगा। पिछले वर्षों में दिवाली के दौरान पटाखों से जलने और वायु प्रदूषण की वजह से अस्थमा रोगियों की संख्या बढ़ जाती है, और इसी को ध्यान में रखते हुए सभी चिकित्सा प्रभारियों को आवश्यक दवाओं और उपकरणों के लिए जिला भंडारगृह से मंगवाने का निर्देश दिया गया है।

यह खबर दर्शाती है कि स्वास्थ्य सेवाओं को निजी हाथों में सौंपने से क्या बदलाव आएंगे, और इसके साथ ही दिवाली पर स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी देती है।

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