खगड़िया, बिहार: बिहार के खगड़िया में प्रतिबंध के बावजूद अवैध लॉटरी का कारोबार फल-फूल रहा है। साल 1993 में बिहार सरकार ने लॉटरी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन 31 साल बाद भी इस धंधे पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है। स्थानीय पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता ने इस अवैध व्यापार को बढ़ावा दिया है।
कैसे चल रहा है यह धंधा?
खगड़िया के स्टेशन रोड, राजेंद्र चौक, बखरी बस स्टैंड, बलूआही बस स्टैंड, और कचहरी रोड जैसे प्रमुख इलाकों में खुलेआम लॉटरी की टिकटें बेची जा रही हैं। संवाददाताओं ने खुफिया कैमरे से एक पान दुकान के पीछे छिपे लॉटरी कारोबार को उजागर किया। लॉटरी टिकटें मिजोरम और नागालैंड राज्य के नाम पर बेची जा रही हैं, जिन्हें बंगाल से मंगवाया जाता है।
दर्जनों एजेंट और लाखों का कारोबार
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यह अवैध धंधा इतना बड़ा है कि इसमें दर्जनों एजेंट काम कर रहे हैं। ये एजेंट घूम-घूमकर लॉटरी की टिकटें बेचते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रतिदिन 3 से 4 लाख रुपये की लॉटरी टिकटें बेची जा रही हैं। लोग लखपति बनने के सपने के लिए इन टिकटों पर मुंह मांगी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं।
लोगों की जेब पर भारी पड़ रही लॉटरी
अवैध लॉटरी कारोबार से जहां कुछ लोग मालामाल हो रहे हैं, वहीं आम जनता को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। टिकटों की कीमतें उनकी वास्तविक कीमत से कई गुना ज्यादा वसूली जा रही हैं।
पुलिस की मिलीभगत का आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस की मिलीभगत के कारण यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। राजेंद्र चौक से लेकर सन्हौली दुर्गा मंदिर चौक तक खुलेआम टिकटें खरीदी-बेची जा रही हैं। बावजूद इसके, पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
लॉटरी का अतीत और वर्तमान
1990 के दशक में लॉटरी ने बिहार में कई परिवारों को कंगाल बना दिया था। इसके चलते 1993 में तत्कालीन सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया। लेकिन अब नई पीढ़ी को लॉटरी के इस जाल में फंसाया जा रहा है।
प्रशासन का क्या कहना है?
नगर थाना अध्यक्ष सह प्रशिक्षु डीएसपी अनुपेश नारायण ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इस अवैध धंधे की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि अगर छापेमारी की जरूरत हो, तो मीडिया जानकारी दे, ताकि तत्काल कार्रवाई की जा सके।
छापेमारी के बावजूद कारोबार जारी
बीते वर्षों में कई छापेमारी की गई और कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं, लेकिन बड़े माफिया अभी भी पुलिस और प्रशासन की पहुंच से दूर हैं।
निष्कर्ष
खगड़िया में लॉटरी का यह अवैध व्यापार प्रशासन की निष्क्रियता और पुलिस की लापरवाही को उजागर करता है। जनता की आर्थिक स्थिति को बर्बाद करने वाले इस धंधे पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है, ताकि 31 साल बाद भी कानून की धज्जियां उड़ाने वाले इन माफियाओं पर लगाम लगाई जा सके।
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