दिल्ली पुलिस ने 110 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह का खुलासा किया है। गिरोह के सदस्यों ने पूछताछ में बताया कि वे लोगों के मोबाइल का रिमोट एक्सेस हासिल करते थे और ठगी की गई रकम को सीधे अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे।
गिरोह की कार्यप्रणाली
साइबर ठगों ने बताया कि वे अपनी एजेंट्स के मोबाइल पर रिमोट एक्सेस रखते थे, और जब भी उनके खातों में ठगी की रकम जमा होती थी, वे उसे तुरंत अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते थे। यह प्रक्रिया खासतौर पर उन खातों से की जाती थी, जिन्हें भारत में एजेंट्स ने खोला था। विदेशों में बैठे ठग काल के जरिए लोगों से डिजिटल अरेस्ट और शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर पैसे जमा कराते थे, और फिर इन एजेंट्स के खातों से रकम ट्रांसफर करते थे।
गिरफ्तारी और आरोपियों के खुलासे
संबंधित आर्टिकल्स
Bihar politics Live Bihar Band: पीएम मोदी की मां को लेकर विवाद गहराया, 4 सितम्बर को एनडीए ने किया बंद का ऐलान
Bihar Chunav 2025 Live: बयानबाजी और भावनाओं की गर्मी, नेताओं की सख्त चेतावनी
Bihar News Today Live: राहुल गांधी का बड़ा आरोप और पूरे राज्य की ताज़ा खबरें
Tej Pratap Yadav: का बयान, भाई बीरेंद्र पर फिर साधा निशाना
Bihar Chunav 2025 Update: मनेर में तेज प्रताप यादव का शक्ति प्रदर्शन
Ranju Devi Rahul Gandhi Vote Theft Allegations: रंजू देवी के खुलासे से राहुल गांधी घिरे, ”वोट चोरी” विवाद पर जेपी नड्डा का वार
पुलिस ने गाजियाबाद, दिल्ली, बिहार और फर्रूखाबाद से गिरोह के 5 प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार किया। इनमें इमरान (गाजियाबाद), प्रेम साउद (दिल्ली), रवि कुमार (दिल्ली), अकबर (बिहार), और अश्वनी कुमार (फर्रूखाबाद) शामिल हैं। प्रेम साउद मूल रूप से नेपाल का रहने वाला है और उसने हरियाणा का आधार कार्ड बनवाया था, जिससे वह अपने देश और विदेशों में बिना किसी संदेह के यात्रा करता था।
ठगों का तरीका
साइबर ठगों को अपने एजेंट्स पर भरोसा नहीं था, क्योंकि उन्हें डर था कि एजेंट की नीयत बिगड़ सकती है। इसलिए उन्होंने एजेंट के मोबाइल की आईडी पर खाता खोलने के बाद, उसकी डिटेल्स टेलीग्राम के जरिए अपने पास मंगा ली थीं। इसके बाद, एपीके फाइल में लिंक भेजकर एजेंट के मोबाइल का रिमोट एक्सेस किया जाता था, और जितनी भी रकम आती थी, उसे ठग अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे।
इसे भी पढ़े :-