बिहार की मशहूर लोकगायिका और पद्मश्री सम्मानित शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। बिहार के संगीत प्रेमियों के दिलों में खास जगह बनाने वाली शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बारे में विशेष आदेश दिए हैं और पटना के जिलाधिकारी (DM) को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सभी आवश्यक तैयारियाँ समय से पूरी की जाएं। इसके अलावा, सीएम ने दिल्ली में बिहार सरकार के प्रतिनिधि को आदेश दिया है कि वे शारदा सिन्हा के परिवार से संपर्क कर उनके पार्थिव शरीर को पटना लाने की व्यवस्था करें।
बिहार की "कोकिला" शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा को उनके प्रशंसक प्यार से "बिहार कोकिला" कहकर बुलाते थे। उनके गीतों में बिहार की माटी और संस्कृति की सुगंध थी। उन्होंने "काहे तोसे सजना", "सासर से ससुराल चले दुल्हनिया", और "होली में उड़े रे गुलाल" जैसे गीतों से बिहार की लोकसंस्कृति को एक अलग पहचान दी। शारदा सिन्हा की आवाज़ और गीतों ने हर त्यौहार और विवाह समारोह को खास बना दिया।
मुख्यमंत्री का संवेदनशीलता भरा निर्णय
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कला और संस्कृति के प्रति अपने प्रेम और संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं। उनका मानना है कि बिहार के कलाकार राज्य की पहचान और गौरव हैं। इसलिए उन्होंने शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ करने का निर्णय लिया, ताकि बिहार की संस्कृति और उसकी धरोहर को सम्मान मिल सके।
संगीत जगत में एक बड़ी क्षति
शारदा सिन्हा के जाने से लोकसंगीत के क्षेत्र में एक ऐसा खालीपन आया है जिसे भरा नहीं जा सकता। बिहार के लोगों के लिए यह बहुत बड़ा नुकसान है। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसक अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं और उनके अमर गीतों को शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। शादी-ब्याह और त्योहार अब उनके गीतों के बिना अधूरे से लगेंगे।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई
नीतीश कुमार ने यह सुनिश्चित किया है कि बिहार की इस अनमोल धरोहर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। राज्य के लोगों और शारदा सिन्हा के प्रशंसकों के दिलों में उनके योगदान की यादें हमेशा जिंदा रहेंगी।
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