पटना, बिहार – बिहार में जल संकट अब गंभीर रूप लेने लगा है, क्योंकि बाढ़ अवधि के दौरान ही कई नदियां सूख गईं हैं। राज्य के जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, तीन नदियां लगभग पूरी तरह सूख चुकी हैं, जबकि 11 नदियों में पानी का स्तर इतना कम है कि मापा भी नहीं जा सकता। ये स्थिति तब है जब मॉनसून की विदाई को अभी एक महीना ही हुआ है।
सिंचाई संकट: 40-50 हजार हेक्टेयर भूमि पर असर
इन सूखी नदियों का प्रभाव लगभग 40-50 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई के लिए पड़ रहा है। खासतौर पर सकरी और काव नदियों से जुड़ी सिंचाई परियोजनाएं ठप हो गई हैं, जिससे इन क्षेत्रों में किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही, रोहतास, नवादा, नालंदा, सीतामढ़ी, कटिहार, गया और बांका जैसे जिलों की लगभग 10 लाख की आबादी पर इसका प्रभाव पड़ा है।
भूजल स्तर गिरने से बिगड़ी स्थिति
संबंधित आर्टिकल्स
Bihar Election 2025: VIP को मिली 15 सीटें तेजस्वी यादव ने छोड़ी गौरा बौराम! बिहार में बदल गया सियासी समीकरण
Bihar Election 2025: योगी आदित्यनाथ का बिहार में बड़ा बयान ‘विकास बनाम बुर्के’ की शरारत कौन कर रहा है?
BJP Candidates Second List 2025: बिहार चुनाव में BJP ने जारी की दूसरी सूची, मैथिली ठाकुर और आनंद मिश्रा को मिला टिकट
Bihar Election 2025: BJP को बड़ा झटका! छपरा की राखी गुप्ता ने किया बगावत का ऐलान!
Bihar Election 2025: मैथिली ठाकुर ने चुनाव लड़ने की अटकलों पर तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा
Bihar Election 2025: NDA में सीट शेयरिंग पर मांझी के बदलते बयान ने मचाया सियासी हलचल
बिहार के कई जिलों में भूजल स्तर तेजी से नीचे गिर गया है, खासकर नदियों के आसपास के क्षेत्रों में। विभागीय रिपोर्ट के अनुसार, ये पहली बार हो रहा है कि बाढ़ की अवधि के दौरान ही नदियों का जल स्तर इतनी तेजी से घटा है। जुलाई में जहां काव नदी में 103.38 मीटर पानी था, वहीं अब यह पूरी तरह सूख चुकी है। इसी तरह नवादा की सकरी नदी में भी पहले 80 मीटर पानी था, जो अब गायब है।
भारी जलभराव के बावजूद स्थिति गंभीर
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल बिहार की नदियों में भारी मात्रा में पानी आया था। कोसी ने पिछले पांच दशकों का जल स्तर रिकॉर्ड तोड़ा, जबकि गंडक में भी दशकों बाद ऊंचे जल स्तर पर पानी देखा गया। बावजूद इसके, केवल एक महीने में ही जलस्तर इतनी तेजी से घटा है कि अब कई नदियों में मापने योग्य पानी भी नहीं बचा है। उदाहरण के लिए, रोहतास की अवसाने नदी में 1 अक्टूबर को 102 मीटर पानी था, जो अब बिल्कुल सूख चुकी है।
शहरी इलाकों में भी गंभीर संकट
अधिकांश नदियों के सूखने का प्रभाव शहरी और कस्बाई इलाकों में अधिक देखा जा रहा है। इन क्षेत्रों में कई नदियां अतिक्रमण का शिकार भी हो चुकी हैं, जिससे उनका जलस्तर तेजी से घटता जा रहा है। इन इलाकों में नदियों की चौड़ाई 20 से 40 मीटर तक की थी, लेकिन अब ये अधिकांश हिस्सों में सूख चुकी हैं।
विशेषज्ञों की राय
जल विशेषज्ञों का कहना है कि इस जल संकट का समाधान जल संचयन, उचित प्रबंधन और अतिक्रमण पर नियंत्रण के बिना नहीं हो सकता। उन्होंने इसे राज्य के लिए गंभीर चेतावनी बताया और कहा कि नदियों के सूखने की यह प्रक्रिया अगर जारी रही तो भविष्य में हालात और भी खराब हो सकते हैं।
निष्कर्ष
बिहार में जल संकट एक गंभीर विषय बनता जा रहा है। बाढ़ अवधि में ही नदियों के सूखने से सिंचाई, पेयजल और भूजल स्तर पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा जल्द से जल्द उपाय करना जरूरी हो गया है ताकि यह संकट भविष्य में और विकराल न हो।
इसे भी पढ़े :-
- दिवाली से पहले बेगूसराय में दर्दनाक सड़क हादसा: मासूम की मौत ने परिवार को तोड़ा
- BIHAR NEWS: दिवाली की खरीदारी कर लौटते वक्त ट्रक की चपेट में आए दो दोस्त, मौके पर मौत से परिवार में मातम का माहौल
- National Taekwondo Championship में बेगूसराय का जलवा! बिहार में पहला स्थान, मोतिहारी को मिला दूसरा मौका
- बिहार न्यूज़: धनतेरस पर स्वर्ण व्यवसायी के घर पर भीषण डकैती, महिलाओं पर हमला और लाखों की लूट
- दरभंगा में मेट्रो की शुरुआत! एयरपोर्ट से एम्स तक नई सुविधा, जानें किन रास्तों से गुजरेगी