पटना: राजधानी पटना में ताजी और जिंदा मछली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जिला मत्स्य कार्यालय ने एक सरकारी मछली विक्रय केंद्र शुरू किया था। लेकिन यह पहल एक बार फिर असफल साबित हुई। छठ पर्व के दौरान 2024 में पुनः खोले गए इस केंद्र पर अब ताला लटक गया है।
कोरोना के बाद से ठप संचालन
जिला मत्स्य कार्यालय परिसर में स्थापित यह विक्रय केंद्र 2020 तक सक्रिय था और प्रतिदिन एक से दो क्विंटल मछली की बिक्री होती थी। कोरोना महामारी के दौरान इसे बंद कर दिया गया। हालांकि, इस साल छठ पर्व के पहले इसे फिर से शुरू किया गया, लेकिन यह एक सप्ताह भी नहीं चल सका।
मछली विक्रय वाहन भी हुआ निष्क्रिय
संबंधित आर्टिकल्स
Bihar Assembly Elections 2025 Nathnagar Seat पर एनडीए-आरजेडी में सियासी टक्कर
Samrat Chaudhary statement on Congress: नेपाल-पाकिस्तान की अस्थिरता का ठहराया जिम्मेदार!
बिहार चुनाव 2025 Tejashwi Yadav के सामने सबसे बड़ा मौका, पर चुनौतियां भी कम नहीं
Bihar politics Live Bihar Band: पीएम मोदी की मां को लेकर विवाद गहराया, 4 सितम्बर को एनडीए ने किया बंद का ऐलान
Bihar Chunav 2025 Live: बयानबाजी और भावनाओं की गर्मी, नेताओं की सख्त चेतावनी
Bihar News Today Live: राहुल गांधी का बड़ा आरोप और पूरे राज्य की ताज़ा खबरें
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत चलाए जा रहे मत्स्य विक्रय वाहन भी निष्क्रिय हो गए हैं। ये वाहन घर-घर ताजी मछली पहुंचाने का कार्य करते थे, लेकिन वर्तमान में इनका संचालन भी बंद है।
तालाब की बदहाल स्थिति
जिला मत्स्य कार्यालय परिसर में स्थित तालाब, जो 2019 तक मछली पालन का केंद्र था, अब पूरी तरह बदहाल स्थिति में है। तालाब में वर्तमान में एक भी मछली नहीं है। इससे न केवल मछली उत्पादन प्रभावित हुआ है, बल्कि विक्रय केंद्र का संचालन भी बाधित हो गया है।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने इस व्यवस्था के ठप होने पर नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह केंद्र ताजा और सस्ती मछली उपलब्ध कराने का एक अच्छा विकल्प था, लेकिन इसके बार-बार बंद होने से आम लोगों को मछली खरीदने के लिए निजी बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है।
प्रशासन से ठोस कदम की उम्मीद
यह केंद्र पहले सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता था और शहरवासियों को ताजी मछली उपलब्ध कराता था। अब इसके बंद होने से सरकार की मछली उत्पादन और वितरण योजनाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोग प्रशासन से इस केंद्र को स्थायी रूप से चालू रखने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
सवालों के घेरे में मत्स्य विभाग
मत्स्य विभाग की ओर से इस केंद्र के बार-बार बंद होने और तालाब की बदहाली को लेकर कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है। सवाल यह है कि सरकारी योजनाओं के तहत स्थापित यह विक्रय केंद्र आखिर क्यों नहीं टिक पा रहा है।
निष्कर्ष:
सरकारी मछली विक्रय केंद्र का बार-बार बंद होना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि इससे सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ता है। पटना जैसे शहर में जहां ताजी और जिंदा मछलियों की मांग हमेशा रहती है, वहां इस तरह की पहल को प्रभावी ढंग से संचालित करना समय की जरूरत है।
इसे भी पढ़े :-