72 घंटे में पहचान न कर सकी पुलिस: बिहार में पुलिस व्यवस्था को सुधारने के तमाम दावों के बावजूद लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ताजा मामला गया जिले से है, जहां पुलिस ने 72 घंटे के भीतर एक अज्ञात शव की पहचान नहीं की और उसे बिना पुष्टि के ही अज्ञात मानकर दाह संस्कार कर दिया। यह घटना परैया थाना क्षेत्र की है, जहां 27 सितंबर को सड़क दुर्घटना में एक युवक की मौत हो गई थी।
स्कूटी सवार युवक की मौत, पहचान के बिना कर दिया अंतिम संस्कार
परैया थाना पुलिस ने दुर्घटनास्थल से मृतक की स्कूटी और मोबाइल जब्त किया और शव को पोस्टमार्टम के बाद पहचान के लिए 72 घंटे तक रखा। लेकिन, इस समयावधि में पुलिस शव की पहचान करने में पूरी तरह असफल रही। न तो स्कूटी के नंबर से और न ही मोबाइल के जरिए किसी तरह की पहचान की कोशिश की गई। 72 घंटे बीतने के बाद, शव को अज्ञात मानते हुए उसका दाह संस्कार कर दिया गया।
पिता ने थाने में पहचानी बेटे की स्कूटी
इस बीच, मृतक के पिता, मो. गुलाम हैदर, अपने बेटे की तलाश में कई दिनों से भटकते रहे। 10 दिन बाद जब वे परैया थाने पहुंचे, तो वहां खड़ी स्कूटी को पहचान लिया। तभी उन्हें पता चला कि उनके बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी और पुलिस ने उसे अज्ञात मानकर अंतिम संस्कार कर दिया।
लापरवाही के खिलाफ शिकायत, पुलिस अधिकारियों पर गिरी गाज
मृतक के पिता ने इस लापरवाही की शिकायत गया के एसएसपी आशीष भारती से की। एसएसपी ने मामले की जांच का जिम्मा टिकारी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) को सौंपा। जांच में पाया गया कि परैया थाना अध्यक्ष मुकेश कुमार, जमादार कृष्ण कुमार गुप्ता, और चौकीदार श्यामसुंदर पासवान ने नाम-पते की जांच करने, प्राथमिकी दर्ज करने और शव का सही तरीके से सत्यापन करने में लापरवाही की थी। इस मामले में पुलिस कर्मियों की घोर उदासीनता और कर्तव्य के प्रति लापरवाही की पुष्टि हुई है।
पुलिस सुधार पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर बिहार में पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां पुलिस की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया लोगों की जान और इज्जत पर भारी पड़ रहा है। पुलिस के डिजिटलाइजेशन और सुधार के दावों के बावजूद इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं।
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