Bihar Election News: 11 अक्टूबर 2025 बिहार की सियासत इन दिनों फिर गर्म है। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही Bihar Election 2025 में अब सीट शेयरिंग को लेकर हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन में कांग्रेस और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। सूत्रों के अनुसार, सहनी ने न सिर्फ अधिक सीटों की मांग रखी है बल्कि उपमुख्यमंत्री पद पर भी अपनी दावेदारी जताई है। वहीं कांग्रेस का रुख स्पष्ट है कि पद और जिम्मेदारियों को लेकर फैसला चुनाव परिणाम के बाद ही लिया जाएगा।
कांग्रेस और वीआईपी के बीच सीट शेयरिंग की जंग
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस वीआईपी को महज 14 सीटों पर लड़ाने को तैयार है, जबकि मुकेश सहनी 20 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। महागठबंधन की यह खींचतान अब विपक्षी एकता पर सवाल खड़े कर रही है। इस बीच, तेजस्वी यादव के आवास पर शुक्रवार देर रात दोनों नेताओं की बैठक हुई लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। बैठक का माहौल शुरू में सहज था, मगर सीटों की संख्या पर चर्चा होते ही स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
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मुकेश सहनी ने कहा कि उनकी पार्टी का जनाधार और मेहनत दोनों का सम्मान होना चाहिए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझा तो इसका असर विपक्षी कैंप की रणनीति पर पड़ सकता है।
एनडीए में भी सीटों को लेकर खींचतान, चिराग-उपेंद्र के बीच बातचीत जारी
जहां महागठबंधन में मतभेद जारी हैं, वहीं NDA seat sharing को लेकर भी सियासी उथल-पुथल कम नहीं है। चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की लगातार बैठकों ने एनडीए की रणनीति को और रोचक बना दिया है। भाजपा फिलहाल अपने सहयोगियों को साधने की कोशिश में है ताकि मत विभाजन से बचा जा सके।
लोजपा-आर की सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान सबके सुझाव लेकर निर्णय लेंगे और एक सप्ताह के भीतर अंतिम रणनीति तय होगी। राजनीति के जानकारों का कहना है कि बिहार की सीट शेयरिंग राजनीति हर चुनाव में एक नया मोड़ लाती है और यह दौर भी कुछ अलग नहीं है।
बिहार की राजनीति में सीट शेयरिंग क्यों रहती है विवाद का कारण?
बिहार में गठबंधन राजनीति दशकों से चली आ रही है। यहां जातीय समीकरण, क्षेत्रीय प्रभाव और उम्मीदवारों की पकड़ सीट बंटवारे में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कई बार छोटे दलों की मांगें बड़ी पार्टियों के लिए मुश्किल खड़ी कर देती हैं। यही कारण है कि हर चुनाव से पहले सीट शेयरिंग पर मतभेद सुर्खियों में रहता है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि 2025 का यह विधानसभा चुनाव बिहार की राजनीति की दिशा तय करेगा — और सीट शेयरिंग इसका सबसे बड़ा संकेतक बन सकता है।
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