बक्सर के सदर अस्पताल में इलाज के लिए अब ऑनलाइन पर्ची कटवाने की व्यवस्था शुरू की गई है। हालांकि, यह नई प्रक्रिया मरीजों, खासकर बुजुर्गों और महिलाओं के लिए सिरदर्द बन गई है। स्मार्टफोन का इस्तेमाल न करने वाले या तकनीक से अनजान मरीज निबंधन कराने में बेहद परेशान हो रहे हैं।
मरीजों की मुश्किलें – क्या कह रहे लोग?
चौसा के शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि "करीब 75% मरीज, खासकर महिलाएं और बुजुर्ग, स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे में उन्हें पर्ची कटवाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।"
सिद्धू पासवान ने कहा, "मुझे निबंधन की प्रक्रिया समझ नहीं आई। आखिर में एक अजनबी ने अपने मोबाइल से मेरी पर्ची कटवाई।"
रंजू देवी ने शिकायत की, "बहुत सारे मरीज, जो निबंधन नहीं कर पाते, बिना इलाज के ही वापस लौट जाते हैं। यह नई प्रक्रिया बेहद परेशान करने वाली है।"
पुरानी व्यवस्था बेहतर थी – मरीजों की राय
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कई मरीजों का कहना है कि पहले की ऑफलाइन पर्ची व्यवस्था ज्यादा आसान और तेज थी। माया देवी, जो कई बार बिना इलाज लौट चुकी हैं, ने कहा, "मेरे पास स्मार्टफोन और आधार कार्ड दोनों हैं, लेकिन यह नई प्रक्रिया बहुत जटिल है। सरकार को पुरानी व्यवस्था फिर से शुरू करनी चाहिए।"
क्या हो सकता है समाधान?
- ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों विकल्प:
अस्पताल में ऑनलाइन निबंधन के साथ-साथ पुरानी ऑफलाइन प्रक्रिया को भी चालू रखा जाए। - हेल्प डेस्क:
मरीजों की मदद के लिए अस्पताल में हेल्प डेस्क बनाई जाए, जहां तकनीक से अनजान लोग पर्ची कटवा सकें। - बुजुर्गों और महिलाओं के लिए खास व्यवस्था:
इन वर्गों के लिए अलग से सुविधा दी जाए, ताकि उन्हें ज्यादा परेशान न होना पड़े।
प्रशासन को कदम उठाने की जरूरत
सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल बनाना एक अच्छा कदम है, लेकिन यह तब ही सफल हो सकता है, जब इसे हर किसी के लिए आसान और सुलभ बनाया जाए।
- मरीजों की शिकायतें दूर करने के लिए प्रबंधन को तुरंत कदम उठाने चाहिए।
- पुरानी और नई प्रणाली को साथ चलाने से मरीजों को राहत मिलेगी।
डिजिटलीकरण का उद्देश्य अगर मरीजों की मदद करना है, तो इसे सभी के लिए सहज और सुविधाजनक बनाना जरूरी है।
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