लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन से पूरे बिहार में शोक की लहर फैल गई है। बुधवार दोपहर को उनका पार्थिव शरीर पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके घर लाया गया। आज गुरुवार को पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। शारदा सिन्हा का जन्म 1952 में हुआ था और उनका बचपन सुपौल के हुलास गांव में बीता।
लोक गायिका शारदा सिन्हा हुलास गांव में शारदा सिन्हा के बचपन की यादें
शारदा सिन्हा का घर हुलास गांव में था, जहां वह अपने माता-पिता के साथ रहती थीं। यह गांव उनके संगीत और गायन की यात्रा का पहला स्थल था। गांव के पास राधानगर स्थित एक विद्यालय में वह पढ़ने जाती थीं। उनके जन्म के समय का कमरा अब जमींदोज हो चुका है, लेकिन उस कमरे के कुछ अवशेष आज भी मौजूद हैं। घर के पास एक बगीचा था, जहां वह अक्सर गुनगुनाया करती थीं और अपने गीतों का अभ्यास किया करती थीं।
शारदा सिन्हा का अंतिम इच्छा: पति के पास ही अंतिम संस्कार
संबंधित आर्टिकल्स
Sharda Sinha Chhath Geet: हर घर में गूंजा ‘हो दीनानाथ’, शारदा सिन्हा की आवाज ने फिर लौटाई छठ की यादें
Bihar Election 2025: VIP को मिली 15 सीटें तेजस्वी यादव ने छोड़ी गौरा बौराम! बिहार में बदल गया सियासी समीकरण
Bihar Election 2025: योगी आदित्यनाथ का बिहार में बड़ा बयान ‘विकास बनाम बुर्के’ की शरारत कौन कर रहा है?
Bihar Chunav 2025: लालू-राबड़ी के साथ तेजस्वी यादव ने भरा पर्चा, RJD में दिखी बड़ी एकजुटता!
BJP Candidates Second List 2025: बिहार चुनाव में BJP ने जारी की दूसरी सूची, मैथिली ठाकुर और आनंद मिश्रा को मिला टिकट
Bihar Election 2025: BJP को बड़ा झटका! छपरा की राखी गुप्ता ने किया बगावत का ऐलान!
शारदा सिन्हा के छोटे भाई डॉ. पद्मनाभ शर्मा और उनकी पत्नी सुमन शर्मा ने बताया कि शारदा की अंतिम इच्छा थी कि जहां उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा का अंतिम संस्कार हुआ था, वहीं उनका भी अंतिम संस्कार हो। यह स्थल पटना के गुलबी घाट पर था, और आज उसी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
संगीत के प्रति शारदा का समर्पण और परिवार की यादें
शारदा सिन्हा के बड़े भाई की पत्नी, निर्मला ठाकुर ने बताया कि जब शारदा 12 साल की थीं, तब उन्होंने संगीत का पहला पाठ लिया था। निर्मला ने उन्हें गीत गाना सिखाया था। शारदा का संगीत के प्रति गहरा लगाव था और वह हमेशा अपने गानों की पंक्तियाँ लिखकर अभ्यास करती थीं। उनके गांव के लोग भी याद करते हैं कि शारदा के साथ वे पढ़ाई में भी अव्वल थीं, लेकिन उनका मन हमेशा संगीत की ओर अधिक आकर्षित होता था।
सिहमा गांव में छठ पूजा रुक गई, 350 घरों में नहीं मन रही पूजा
शारदा सिन्हा के ससुराल, बेगूसराय के सिहमा गांव में इस बार छठ पूजा का माहौल गमगीन हो गया है। उनके निधन के बाद, इस गांव में 350 से अधिक घरों में छठ पूजा नहीं मनाई जा रही है। शारदा सिन्हा का पारिवारिक संबंध इस पर्व से गहरे जुड़ा हुआ था। उनके देवर जय किशोर सिंह ने बताया कि शारदा हर साल छठ के समय सिहमा गांव आती थीं। हालांकि, इस साल शारदा के निधन के बाद छठ पूजा की तैयारियां पूरी तरह से रुक गई हैं।
ससुराल के लोग बताते हैं कि मंगलवार रात करीब 9:30 बजे शारदा सिन्हा के निधन की खबर मिलने के बाद सारा काम ठप हो गया। एक अन्य परिजन नीलम देवी ने कहा कि शारदा सिन्हा हमारी बड़ी जेठानी थीं, लेकिन इस साल हम छठ नहीं मना रहे हैं। राघव कुमार, एक अन्य गोतिया, ने बताया कि शारदा के निधन से न केवल सिहमा गांव, बल्कि बिहार और देश भर के लोग भी गहरे शोक में डूबे हुए हैं। सभी घरों में रात से खाना बनना बंद हो गया है और गांव में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं हो रहा है।
शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ
शारदा सिन्हा के निधन के बाद बुधवार को उनके घर में श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि अर्पित की और घोषणा की कि उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। आज सुबह 8 बजे पटना के गुलबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा, जहां सितंबर में उनके पति का भी अंतिम संस्कार हुआ था।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि देने उनके घर पहुंचे। शारदा सिन्हा के निधन से पूरा बिहार शोक में डूबा है। उनकी गायकी, जो वर्षों से छठ पूजा और बिहार के अन्य त्योहारों से जुड़ी रही, अब एक सुनहरा इतिहास बन चुकी है। उनकी यादें हमेशा बिहारवासियों के दिलों में जीवित रहेंगी।
सारांश
लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन बिहार और पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके संगीत और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। इस समय शारदा सिन्हा के परिवार और उनके चाहने वालों की भावना गहरे शोक में डूबी हुई है, खासकर उनके ससुराल सिहमा गांव में, जहां इस साल छठ पूजा का उत्सव नहीं मनाया जा रहा है। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर किया जाएगा, और उनकी श्रद्धांजलि सभा में देशभर से लोग शामिल होंगे।
इसे भी पढ़े :-