पटना, बिहार – बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां चुनाव कर्मियों के लिए 18 करोड़ रुपये की चाय-पकौड़ी और भोजन का फर्जी बिल तैयार किया गया। इस मामले की जांच के दौरान जो खुलासे हुए हैं, उन्होंने सभी को हैरान कर दिया है। जांच में पता चला कि असल खर्च सिर्फ 2.49 करोड़ रुपये का था, जबकि बिल 18 करोड़ रुपये का बना दिया गया था।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा का खुलासा?
लोकसभा चुनाव के दौरान पटना जिले में लगभग 20,000 चुनाव कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। इन कर्मियों के भोजन और नाश्ते की आपूर्ति के लिए प्रशासन को कई कंपनियों ने बिल दिए थे। इनमें से एक बिल में दावा किया गया था कि 18 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन जब जिला प्रशासन ने इसे जांचा, तो असल खर्च केवल 2.49 करोड़ रुपये ही निकला। इस मामले में पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर एक तीन सदस्यीय टीम ने जांच की, जिसमें एडीएम आपूर्ति की अगुवाई की गई थी।
10 गुना अधिक खर्च का दावा
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जांच में सामने आया कि इन कंपनियों द्वारा जो बिल प्रशासन को सौंपे गए थे, उनमें 10 गुना अधिक खर्च दिखाया गया था। कंपनियों ने दावा किया कि एक चुनावकर्मी ने प्रतिदिन औसतन 10 प्लेट भोजन किया, जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं लगता। इस तरह के फर्जीवाड़े से प्रशासन के अधिकारियों को भी आश्चर्य हुआ।
कमरे में 90 बल्ब और पंखे का बिल
इस फर्जीवाड़े में केवल भोजन और नाश्ते का ही नहीं, बल्कि अन्य चीजों का भी बिल शामिल था। बिलों में एक स्थान पर जहां चुनाव कर्मी ठहरे हुए थे, वहां 80 से 90 बल्ब और पंखे लगाए जाने का दावा किया गया। जबकि उस जगह की क्षमता केवल 100 लोगों के बैठने की थी। इस असामान्य विवरण को देखकर प्रशासन को और संदेह हुआ, और विस्तृत जांच की गई।
जांच में सामने आई हकीकत
जांच के दौरान संबंधित विधानसभा क्षेत्र के सहायक निर्वाचन अधिकारियों को भी बुलाया गया और सभी बिलों का सत्यापन कराया गया। इस प्रक्रिया में खुलासा हुआ कि चुनाव के दौरान जहां पुलिस कर्मियों को ठहराया गया था, वहां इतनी संख्या में बल्ब और पंखे लगाए जाने का दावा ही फर्जी था।
जिला प्रशासन ने उठाए कड़े कदम
डीएम चंद्रशेखर सिंह ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए सभी फर्जी बिलों को रद्द कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह के फर्जीवाड़े से सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। जांच के बाद जिन बिलों को फर्जी पाया गया है, उन्हें पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है।
फर्जीवाड़े पर क्या होगी अगली कार्रवाई?
जिला प्रशासन ने कहा है कि वह इस मामले में संबंधित कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की तैयारी हो रही है ताकि भविष्य में इस तरह के मामलों पर नियंत्रण लगाया जा सके।
चुनाव में फर्जीवाड़े की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय
बिहार में चुनाव के दौरान इस तरह का फर्जीवाड़ा कोई नई बात नहीं है, लेकिन 18 करोड़ रुपये का यह मामला एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यह घटना चुनाव प्रणाली और सरकारी धन के उपयोग में पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा करती है। ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई से ही सरकारी संसाधनों का सही तरीके से उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
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