मुजफ्फरपुर न्यूज के अनुसार, बाढ़ के बाद पशुपालकों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। मवेशियों के लिए चारा जुटाने में उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बागमती नदी को पार कर जान जोखिम में डालकर लोग अपने मवेशियों के लिए चारा इकट्ठा कर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्र के किसान रेलवे ट्रेनों के बोगियों पर घास लादकर कोसों दूर तक यात्रा कर रहे हैं। सरकारी मदद का कोई अता-पता नहीं है, जिससे ग्रामीणों को चारे की कमी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर औराई और कटरा के किसान सरकार से मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं। हाल ही में नेपाल के तराई से 6 लाख 22 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज किया गया है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
लोगों की बढ़ती मुसीबत
रून्नीसैदपुर के मधकौल और तिलक ताजपुर में बांध टूट जाने से लखनदेई नदी में पानी भर गया है, जिससे स्थानीय लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इस क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा पानी में डूबा हुआ है और धान की फसल भी बर्बाद हो चुकी है। हालांकि बाढ़ का स्तर कम हो चुका है, लेकिन निचले इलाकों में अभी भी पानी भरा हुआ है।
पशुपालकों के लिए चारे की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। भुसा बाढ़ के पानी में बह गया है, जिससे उनके लिए मवेशियों का भोजन जुटाना अत्यंत कठिन हो गया है। एक पशुपालक ने कहा, “हम लोग बेहद परेशान हैं। बाढ़ खत्म हो गई, लेकिन सब कुछ बर्बाद हो चुका है। हमारे परिवार के सदस्य सुबह चारा जुटाने के लिए निकलते हैं, और इसमें काफी समय लगता है।”
मुजफ्फरपुर न्यूज की यह रिपोर्ट बाढ़ के कारण मुजफ्फरपुर के पशुपालकों की बढ़ती समस्याओं को उजागर करती है, जो सभी को जागरूक करने का काम कर रही है कि उन्हें तत्काल मदद की आवश्यकता है।
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