बिहार में हाल ही में शिक्षा विभाग द्वारा लागू की गई नई ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति ने राज्य के शिक्षक समुदाय में असंतोष की लहर पैदा कर दी है। इस नीति के अनुसार, अब हर पांच साल में शिक्षकों का अनिवार्य रूप से ट्रांसफर किया जाएगा। इस फैसले के खिलाफ बिहार के कई शिक्षक संगठनों ने तीखा विरोध जताया है और इसे शिक्षकों के हितों के खिलाफ बताया है।
ट्रांसफर नीति पर अवैध वसूली के आरोप
बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने नई ट्रांसफर नीति का कड़ा विरोध करते हुए कहा, “पहले शिक्षकों के लिए केवल ऐच्छिक ट्रांसफर की व्यवस्था थी, लेकिन अब सरकार अनिवार्य ट्रांसफर की बात कर रही है। यह नीति अधिकारियों को अवैध वसूली का मौका देने के लिए बनाई गई है।” उन्होंने कहा कि इस नियम से शिक्षकों की स्थिरता प्रभावित होगी, जिससे वे पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे और इसका सीधा असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ेगा।
अमित विक्रम ने यह भी चिंता व्यक्त की कि बार-बार होने वाले ट्रांसफर से न केवल शिक्षक मानसिक रूप से प्रभावित होंगे, बल्कि उनके बच्चों की शिक्षा भी बाधित होगी। उन्होंने सरकार से इस नियम को तुरंत वापस लेने की मांग की और कहा कि ट्रांसफर केवल शिक्षकों की इच्छानुसार ही होना चाहिए।
शिक्षकों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार: केशव कुमार
शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष केशव कुमार ने भी इस नीति को शिक्षकों के लिए अनुचित बताया। उन्होंने कहा, “हर पांच साल में स्थान बदलने का नियम शिक्षकों और उनके परिवारों के लिए अत्यधिक कठिनाइयाँ पैदा करेगा। यह नियम शिक्षकों के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए लाया गया है।” उन्होंने इसे ‘नाग की तरह’ बताया, जो शिक्षकों के हितों को ‘डसने’ का काम करेगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस नीति पर पुनर्विचार नहीं करती, तो बिहार के 5-6 लाख शिक्षक अगले विधानसभा सत्र के दौरान पटना की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
सरकार से पुनर्विचार की मांग
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने भी इस नीति को शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक बताया। उन्होंने कहा, “यदि शिक्षक मानसिक रूप से परेशान रहेंगे, तो शिक्षा प्रणाली में सुधार असंभव है। सरकार को शिक्षकों की समस्याओं को समझते हुए इस नियम पर पुनर्विचार करना चाहिए।”
शिक्षा विभाग और शिक्षक संघों में टकराव
कुल मिलाकर, बिहार की नई ट्रांसफर नीति को लेकर शिक्षा विभाग और शिक्षक संघों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इसे शिक्षकों के हितों के खिलाफ बताया है और सरकार से तुरंत इस पर पुनर्विचार करने की अपील की है। यदि सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो राज्य में शिक्षक आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।
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