जहानाबाद के असलम: दिव्यांगता को मात देकर बन रहे हैं प्रेरणा, ट्राईसाइकिल से कर रहे डिलीवरी और बीपीएससी की तैयारी

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Samastipur News Bihar

जहानाबाद: बिहार के जहानाबाद जिले के शेखालमचक मुहल्ले के रहने वाले मो. असलम ने अपने हौसले और मेहनत से एक मिसाल कायम की है। दोनों पैरों से लाचार होने के बावजूद, असलम न केवल अपनी जीविका चला रहे हैं बल्कि बीपीएससी की तैयारी के अपने सपने को भी साकार करने की कोशिश में जुटे हैं।

हौसले की कहानी जो हर किसी को प्रेरित करेगी

असलम का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा है। बचपन में लकवे के कारण दोनों पैरों से लाचार हो गए, और कम उम्र में ही माता-पिता का साया सिर से उठ गया। उनकी मां सैरुन निशा का निधन बीएड की पढ़ाई के दौरान हुआ, जबकि पिता मो. फजल करीम का देहांत उनके बचपन में ही हो गया था।

समस्याओं ने असलम का पीछा कभी नहीं छोड़ा। कोरोना काल में एक सड़क दुर्घटना ने उनकी स्थिति और कठिन कर दी। लेकिन इन तमाम मुश्किलों के बावजूद, असलम ने हार नहीं मानी।

डिलीवरी बॉय बन पेश कर रहे मिसाल

सरकार द्वारा प्रदान की गई ट्राईसाइकिल के सहारे असलम ने एक निजी कंपनी के लिए डिलीवरी बॉय के रूप में काम करना शुरू किया। वह शहर के अलग-अलग घरों में सामान पहुंचाते हैं। इस काम से मिलने वाली आमदनी से न केवल उनका गुजारा होता है, बल्कि वे बीपीएससी की तैयारी की किताबें और अन्य सामग्री भी खरीद रहे हैं।

असलम की ट्राईसाइकिल के पीछे लिखा है, “सफलता पाने के लिए अपने लक्ष्य की दिशा में हमेशा बढ़ते रहें।” यह वाक्य उनके जीवन और संघर्ष को बखूबी बयां करता है।

समाज की चुनौतियों का सामना

असलम ने बताया कि डिलीवरी के दौरान कई बार लोगों का व्यवहार उनके प्रति असंवेदनशील होता है। दिव्यांगता के कारण उन्हें भारी सामानों की डिलीवरी में भी दिक्कतें आती हैं। बावजूद इसके, उन्होंने अपने आत्मविश्वास को टूटने नहीं दिया।

असलम कहते हैं, “लोगों का नजरिया कभी-कभी ठेस पहुंचाता है, लेकिन मैं अपनी कमजोरियों को ताकत बनाकर आगे बढ़ रहा हूं।”

सपने और संघर्ष का मेल

असलम का लक्ष्य बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा पास करना है। इसके लिए वे कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उनका मानना है कि किसी भी चुनौती को मेहनत और जज्बे से हराया जा सकता है।

उनके जीवन पर प्रसिद्ध कवि इकबाल की यह पंक्तियां सटीक बैठती हैं:
“खुदी को कर बुलंद इतना, कि हर तक़दीर से पहले,
खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रजा क्या है।”

एक प्रेरणा जो बदलाव ला सकती है

असलम जैसे लोग समाज में न केवल अपनी कहानी से प्रेरणा देते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कठिन परिस्थितियां भी किसी के सपनों को रोक नहीं सकतीं। उनकी संघर्ष और सफलता की यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन की चुनौतियों से जूझ रहा है।

जहानाबाद के इस युवा ने यह साबित कर दिया है कि परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों, हौसला और मेहनत इंसान को हर मुश्किल से ऊपर उठने का रास्ता दिखा सकती है।

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Sonu Kumar

Sonu Kumar is an experienced news editor with over a decade in journalism, currently leading editorial efforts at SamastipurNews.in. Renowned for her commitment to journalistic integrity and precision, Sonu Kumar has developed a reputation for curating insightful, unbiased news content that resonates with readers. She holds a Master’s degree in Journalism and Mass Communication, equipping her with deep expertise in media ethics and storytelling.

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