बेगूसराय, बिहार में स्थित भारत का सबसे बड़ा मंदिर, दुनिया का सबसे ऊंचा दुर्गा मंदिर है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। यह मंदिर, जो दुर्गा पूजा के अवसर पर विशेष रूप से भव्यता के साथ सजता है, अपनी विशालता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। श्रद्धालु यहां मां दुर्गा की पूजा पिंडी रूप में करते हैं और मन्नत पूरी करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
बेगूसराय के सिद्धपीठ बड़की दुर्गा मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, यह मंदिर 16वीं या 17वीं शताब्दी के आसपास स्थापित हुआ था। जब राजस्थान के राजपूत बेगूसराय आए, तब गंगा किनारे स्थित मल्हीपुर गांव के पास उन्होंने मां दुर्गा की स्थापना की। यह स्थल आज भी भारत के सबसे बड़े मंदिर के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है।
80 साल पहले हुई मंदिर की पुनर्स्थापना
प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा के लिए, लगभग 80 वर्ष पहले राजपूतों के आग्रह पर बीहट के ऊंचे स्थान (डीह) पर इस मंदिर की स्थापना की गई। उस समय, जयनाथ सिंह के नेतृत्व में एक झोपड़ी में दुर्गा की पूजा शुरू हुई, जो बाद में पक्के ईंटों के मंदिर में परिवर्तित हुई। यह मंदिर आज दुनिया का सबसे ऊंचा दुर्गा मंदिर है, जो बिहार के धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
भव्य निर्माण कार्य और श्रद्धालुओं की आस्था
2009 में, गांव के नवयुवकों ने मिलकर इस मंदिर का भव्य निर्माण कार्य शुरू किया। अब तक 20 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है। यह भारत का सबसे बड़ा मंदिर न केवल बिहार के बल्कि अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं को भी अपनी ओर आकर्षित करता है, जहां मन्नत पूरी होने पर हर साल भीड़ उमड़ती है।
नवरात्रि में विशेष पूजा-अर्चना
मंदिर के पुजारी पंकज कुमार फलाहारी बताते हैं कि नवरात्रि के समय विशेष पूजा-अर्चना होती है। अष्टमी को रात विशेष पूजा के बाद मां का पट खोला जाता है। हर दिन विधि-विधान से पूजा होती है और नवरात्रि में महिलाएं मां के चरणों में प्रसाद चढ़ाती हैं।
मुग़ल काल से चल रही पूजा की परंपरा
पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में पूजा की परंपरा मुग़ल काल से चली आ रही है। यह 221 फीट ऊंचा मंदिर, जो 11 मंजिल का है, सबके कल्याण के लिए सकारात्मक मनोकामनाएं पूरी करता है। 14 फरवरी 2009 को उत्साही युवाओं ने इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया, जो अब भव्यता के साथ तैयार है।
मां की मूर्ति की अद्वितीयता
पुजारी ने बताया कि मां की प्रतिमा का स्वरूप समय के साथ नहीं बदला गया है। मूर्तिकार हर बार श्रद्धा और तन्मयता से पूर्व की तरह प्रतिमा बनाते हैं, जबकि वस्त्रों का रंग बदलता है, लेकिन डिजाइन में बदलाव नहीं किया जाता।
इस प्रकार, बिहार के बेगूसराय में स्थित यह दुर्गा मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारत के सबसे बड़े मंदिर के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है।
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