बिहार में छठ महापर्व के दौरान डूबने से 61 लोगों की मौत, लापरवाही बनी मौत की वजह

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बिहार, 2024: बिहार में इस बार छठ महापर्व के दौरान तालाब, पोखर और नदियों में डूबने से 61 लोगों की मौत हो गई। ये घटनाएं विशेष रूप से कोसी, सीमांचल और पूर्व बिहार क्षेत्रों में सामने आईं, जहां लापरवाही और असावधानी के कारण लोगों की जान चली गई। इस समय में सबसे ज्यादा मौतें पानी में डूबने से हुई हैं, जिसमें से कुछ घटनाओं में युवाओं और बच्चों की लापरवाही से यह हादसे हुए हैं।

बिहार के विभिन्न जिलों में डूबने से हुई मौतें

बिहार के विभिन्न जिलों में डूबने के कारण मौतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कोसी, सीमांचल और पूर्व बिहार के क्षेत्रों में 29 लोगों की जान चली गई, जबकि उत्तर बिहार में 13 लोगों की डूबने से मौत हुई। सहरसा, मधेपुरा, लखीसराय, मुंगेर, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, खगड़िया, और भागलपुर जैसे जिलों में डूबने के कारण लोगों की मौत हुई है।

सहरसा और मधेपुरा में 6 लोगों की डूबने से मौत हुई, जबकि लखीसराय और मुंगेर में क्रमशः 2 और 4 मौतें हुईं। अररिया में एक, पूर्णिया में 2, कटिहार में 2, खगड़िया में 5 और भागलपुर में 4 लोगों की मौत हुई है। वहीं, अन्य जिलों में भी मौतों की खबरें सामने आईं हैं। इस दौरान 3 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है।

लापरवाही के कारण डूबने वाली घटनाओं का बढ़ना

पानी में डूबने के कारण कई मौतें लापरवाही और बिना सोच-समझ के की गई गतिविधियों की वजह से हुईं। जैसे कि कुछ लोग सेल्फी लेने के चक्कर में नदी में कूद गए, कुछ ने फोटो खींचने के लिए खतरे को अनदेखा किया, तो कुछ बच्चों ने घरवालों की मना करने के बावजूद नदी में स्नान किया, जो अंततः उनकी मौत का कारण बना।

सेल्फी लेने का शौक बना मौत का कारण

सारण जिले के तरैया में छठ घाट पर नाव पर सेल्फी लेने के दौरान आठ बच्चे नदी में गिर गए। इनमें से दो की मौत हो गई, जबकि छह को समय रहते बचा लिया गया। इस घटना से यह साफ हो गया कि सेल्फी का शौक कभी-कभी जानलेवा साबित हो सकता है, खासकर जब लोग अपनी सुरक्षा की अनदेखी करते हैं। इस घटना के बाद, आक्रोशित लोगों ने एंबुलेंस नहीं मिलने पर पुलिस पर पथराव कर दिया और रोड जाम किया।

फोटो खींचने की जिद से एक और हादसा

केसरिया के सतरघाट पुल पर एक युवती ने फोटो खींचने के लिए गंडक नदी के किनारे खड़ा होकर फोटो लेने की कोशिश की, लेकिन संतुलन बिगड़ने से वह नदी में गिर गई। उसे बचाने के लिए उसका भाई भी नदी में कूद पड़ा, लेकिन वह भी डूबने लगा। स्थानीय लोगों ने भाई को तो बचा लिया, लेकिन युवती को नहीं बचाया जा सका। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि जब लोग खतरों का सामना करने के बजाय उनका सामना करने के बजाय खुद को ही जोखिम में डालते हैं तो नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।

बड़ों की बात ना मानने के कारण डूबने की घटनाएं

आरा जिले के सहार थाना क्षेत्र के अंधारी गांव में सोन नदी में पांच बच्चे डूब गए। घरवालों ने बच्चों को नदी में न नहाने की सख्त चेतावनी दी थी, लेकिन बच्चों ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया और नदी में नहाने चले गए। इस दौरान एक दूसरे को बचाने के चक्कर में पांचों बच्चे डूब गए। इनमें से दो बच्चों की मौत हो गई, जबकि एक बच्चा लापता है। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि बच्चों के लिए बड़ों की बातों का पालन करना कितना जरूरी होता है, खासकर ऐसे खतरनाक स्थानों पर जहां पानी की गहराई अधिक हो सकती है।

निष्कर्ष: हमें इन घटनाओं से क्या सिखने की जरूरत है?

इन घटनाओं से हमें यह सिखने की जरूरत है कि पानी में नहाने और सेल्फी लेने जैसी गतिविधियों को बेहद सावधानी से करना चाहिए। खासकर छठ महापर्व के दौरान जब बड़ी संख्या में लोग तालाबों, पोखरों और नदियों में स्नान करने जाते हैं, तो वहां अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता है। यह समय है जब हम अपनी लापरवाही को दूर कर, दूसरों को भी सुरक्षा की अहमियत समझाएं और हादसों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाएं।

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