Sita Navami: नमस्कार मैं सौरभ ठाकुर samastipurnews.in से आपको बताते चले की सीता नवमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, नारी गरिमा और मूल्यों का जीवंत प्रतीक है। यह दिन न केवल माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, बल्कि यह भारतीय समाज में स्त्री की भूमिका, मर्यादा, त्याग और शक्ति को भी याद करने का अवसर है। विशेष रूप से मिथिला के लिए यह पर्व गर्व का विषय है, जहाँ ऐसी दिव्य और प्रेरणादायी शक्ति का अवतरण हुआ।
Sita Navami: वैदेही उत्सव में सीता के वैदिक स्वरूप का स्मरण
नई दिल्ली में आयोजित वैदेही उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राज्यसभा सांसद और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष श्री संजय कुमार झा ने कहा कि माता सीता भारतीय नारी शक्ति, संयम, धैर्य और मर्यादा की प्रतीक हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीता सिर्फ एक पौराणिक पात्र नहीं हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना की मूल आत्मा हैं।

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श्री झा ने यह भी कहा कि माता सीता का उल्लेख वेदों में "उर्वरता और पृथ्वी की अधिष्ठात्री देवी" के रूप में हुआ है, जिससे स्पष्ट होता है कि वे केवल एक पत्नी या रानी के रूप में सीमित नहीं हैं, बल्कि भारतीय सभ्यता की नींव से जुड़ी हुई हैं।
Sita Navami In Hindi: मिथिला की संस्कृति को वैश्विक मंच पर लाने का आह्वान
Sita Navami In Hindi: श्री झा ने कहा कि मिथिला की संस्कृति को वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में अब और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "हमें गर्व है कि मिथिला जैसी भूमि ने माता सीता जैसी दिव्य और प्रेरणादायी शक्ति को जन्म दिया।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि सीता नवमी केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि यह नारी सशक्तिकरण, मूल्यों और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है।
वैदेही उत्सव में मिथिला पेंटिंग्स और साहित्यिक संवाद

कार्यक्रम में डॉ. सविता झा की अगुवाई में मधुबनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी और वैदेही उत्सव के कई सत्रों का आयोजन किया गया। इन पेंटिंग्स में जगत जननी माता सीता के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित किया गया था। इस बार भी दर्जनों कलाकारों ने अपनी कलाकृतियाँ प्रस्तुत कीं, जो सीता के जीवन और दर्शन पर आधारित थीं।
दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, जिसमें श्री संजय कुमार झा के साथ-साथ मां बंग्लामुखी पीठ के गुरुजी, प्रसिद्ध चित्रकार भारती दयाल, साहित्यकार डॉ अनामिका, श्रीमती मोती कर्ण, और मिथिला स्टैक के फाउंडर अरविंद झा जैसे प्रतिष्ठित अतिथियों ने भाग लिया।
वैदेही का धैर्य और त्याग नारी के लिए प्रेरणा

मंथन सत्र के दौरान प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. अनामिका ने कहा, "ज्ञान की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए जब व्यक्ति संज्ञान तक पहुंचता है, तो वहाँ वैदेही दिखती हैं। उनमें अहं से वयं तक की यात्रा है, क्योंकि उनमें धैर्य और संबल है।"
इस मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास की प्राध्यापिका डॉ. सविता झा ने बताया कि सीता का स्वरूप रामायण से पूर्व का है। उन्होंने ऋग्वेद के संदर्भ का उल्लेख करते हुए कहा कि सीता को उसमें कृषि और पृथ्वी की देवी के रूप में देखा गया है।
सीता नवमी सिर्फ पर्व नहीं, नारी सशक्तिकरण का प्रतीक

दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार मिश्रा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि सीता नवमी हमारे लिए सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि नारी शक्ति का उत्सव है। उन्होंने कहा, “सीता हर नारी को मंत्र शक्ति देती हैं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण का जो प्रतिमान स्थापित किया है, वह आज भी प्रासंगिक है।”
वैश्विक मंच पर मिथिला की बात
कार्यक्रम में यह बात भी प्रमुखता से उभरी कि मिथिला की सांस्कृतिक और बौद्धिक परंपराओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अभी और प्रयासों की आवश्यकता है। वैदेही उत्सव जैसे आयोजन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं जो न केवल सीता के वैदिक स्वरूप को उजागर करते हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनते हैं।
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