Patna High Court Big Decision: पटना उच्च न्यायालय ने शस्त्र लाइसेंस से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि केवल एफआईआर दर्ज होने के आधार पर किसी का शस्त्र लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकल पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि प्राथमिकी दर्ज होना लाइसेंस रद्द करने का वैध आधार नहीं हो सकता।
सुपौल के डीएम का फैसला गैर-कानूनी करार
संबंधित आर्टिकल्स
Mount Everest in Bihar: बिहार के जयनगर से दिखा दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत
धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के लिए उठी नई लौ Gau Matdata Sankalp Yatra
Bihar politics Live Bihar Band: पीएम मोदी की मां को लेकर विवाद गहराया, 4 सितम्बर को एनडीए ने किया बंद का ऐलान
Bihar News Today Live: राहुल गांधी का बड़ा आरोप और पूरे राज्य की ताज़ा खबरें
Special Train Service Bihar: पटना से दिल्ली-मुंबई तक अब आसान सफर, जानें नई Special Train Schedule
Bihar Badlaav Sabha Jansuraj: बिहार में उठी नई आंधी! बदलाव सभा ने क्यों मचा दी राजनीति में हलचल?
Patna High Court Big Decision: यह मामला सुपौल जिले का है, जहां के डीएम ने एक व्यक्ति का शस्त्र लाइसेंस केवल एफआईआर दर्ज होने के कारण रद्द कर दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता सुनील कुमार सिन्हा ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने डीएम के इस फैसले को गैर-कानूनी करार देते हुए कहा कि जब तक पुलिस आरोप पत्र दाखिल नहीं करती और ट्रायल कोर्ट संज्ञान नहीं लेता, तब तक केवल एफआईआर के आधार पर लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने पूर्व फैसले का किया उल्लेख
कोर्ट ने इस फैसले में मेवा लाल चौधरी बनाम भारत सरकार के मामले का भी उल्लेख किया, जहां पासपोर्ट प्राधिकरण ने महज एफआईआर दर्ज होने के कारण पासपोर्ट जब्त कर लिया था। उस मामले में भी कोर्ट ने इसे अवैध और मनमाना करार दिया था। इसी तर्ज पर, पटना हाई कोर्ट ने कहा कि केवल आपराधिक मामले के लंबित रहने से किसी का शस्त्र लाइसेंस रद्द करना उचित नहीं है।
न्यायिक प्रक्रिया का पालन जरूरी
पटना हाई कोर्ट के इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी व्यक्ति के शस्त्र लाइसेंस को रद्द करने के लिए पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल होना और कोर्ट का संज्ञान लेना जरूरी है। बिना इन कानूनी प्रक्रियाओं के केवल प्राथमिकी के आधार पर शस्त्र लाइसेंस रद्द करना कानूनन गलत है।
इसे भी पढ़े :-