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न्यूज़ / NCRB Crime Data: मणिपुर में महिलाओं, बच्चों और ST/SC पर बढ़ते अपराध का सच

NCRB Crime Data: मणिपुर में महिलाओं, बच्चों और ST/SC पर बढ़ते अपराध का सच

Reported by: Ground Repoter | Written by: Saurabh Thakur | Agency: SN Media Network
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NCRB रिपोर्ट: मणिपुर में हिंसा-अपराध का बढ़ता ग्राफ खबर का सार AI ने दिया. न्यूज़ टीम ने रिव्यु किया.

  • एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर में जातीय संघर्ष और महिला-बच्चों के खिलाफ अपराध तेज़ी से बढ़े हैं।
  • अनुसूचित जनजातियों (ST) के खिलाफ अपराधों में 29% की वृद्धि दर्ज की गई है; 60,000 से अधिक लोग राहत शिविरों में हैं।
  • सामाजिक-आर्थिक असमानता, ज़मीन विवाद और राजनीतिक अस्थिरता मुख्य जड़ें हैं; स्थानीय स्तर पर भरोसे की ज़रूरत।

30 सितंबर 2025, नई दिल्ली। मणिपुर की हिंसा और लगातार बढ़ते अपराधों ने एक बार फिर देश का ध्यान खींचा है। NCRB Crime Data की हालिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अपराध का ग्राफ पिछले दो सालों में तेजी से ऊपर गया है। जातीय संघर्ष, महिलाओं के खिलाफ अपराध, ज़मीन विवाद और आगजनी जैसी घटनाओं ने आम लोगों की ज़िंदगी को गहराई से प्रभावित किया है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों पर अपराध के मामले राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक हैं।

मणिपुर की हिंसा और अपराध का ताजा परिदृश्य

मणिपुर का नाम अब केवल जातीय झड़पों और तनावपूर्ण माहौल के लिए सुर्खियों में आने लगा है। NCRB crime data के मुताबिक, 2022 की तुलना में अनुसूचित जनजातियों (ST) के खिलाफ अपराधों में 29% की वृद्धि हुई है। वहीं अनुसूचित जातियों (SC) के मामलों में भी वृद्धि दर्ज की गई है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बलात्कार, अपहरण और घरेलू हिंसा जैसी घटनाएँ प्रमुख हैं।

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राज्य की स्थिति यह बताती है कि प्रशासनिक स्तर पर की गई कोशिशों के बावजूद अपराध का दायरा बढ़ रहा है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों की संख्या 60,000 से अधिक हो चुकी है, जिससे साफ है कि हालात अभी स्थिर नहीं हुए हैं।

कानून-व्यवस्था और प्रशासन की चुनौती

NCRB Crime Data: मणिपुर हिंसा और बढ़ते अपराध पर आधारित NCRB Data रिपोर्ट – महिलाओं, बच्चों और जनजातीय समुदायों पर असर

राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं—सुरक्षा बलों की तैनाती, सामुदायिक संवाद, और राहत शिविरों का संचालन। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं। सामाजिक-आर्थिक असमानता, ज़मीन विवाद और राजनीतिक अस्थिरता समस्या की जड़ बने हुए हैं।

एनसीआरबी अपराध डेटा यह दिखाता है कि जब तक स्थानीय स्तर पर भरोसे और न्याय की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक हिंसा का दायरा कम नहीं होगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत निगरानी की ज़रूरत है।

महिलाओं और बच्चों पर बढ़ता अपराध

रिपोर्ट में साफ ज़िक्र है कि महिलाओं और बच्चों पर अपराध सबसे ज्यादा दर्ज किए गए हैं। women crime statistics के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में घरेलू हिंसा और यौन शोषण के मामले सबसे ऊपर हैं। वहीं child crime statistics बताता है कि बच्चों पर हमले और शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

यह स्थिति न केवल समाज की संवेदनशीलता पर सवाल उठाती है बल्कि बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकारी योजनाओं की विफलता भी उजागर करती है।

अपराध की बदलती तासीर और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

मणिपुर में अब अपराध केवल जातीय संघर्ष तक सीमित नहीं रह गया है। डकैती, आगजनी, ज़मीन कब्ज़ा और राजनीतिक हिंसा भी बड़ी चुनौती बन चुकी है। scheduled tribes crime और scheduled castes crime दोनों ही श्रेणियों में मणिपुर शीर्ष पर है।

रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि भारत के अन्य हिस्सों में भी अपराध का पैटर्न तेजी से बदल रहा है। crime statistics India से पता चलता है कि कई राज्यों में किशोर अपराध (juvenile crime India) और शहरी अपराध दर बढ़ रही है। यह स्थिति दर्शाती है कि अपराध अब केवल किसी एक राज्य की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह राष्ट्रीय चुनौती बन चुकी है।

मणिपुर की हिंसा और अपराधों की यह तस्वीर केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह आम जनता की पीड़ा, विस्थापन और भय का आईना है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सामाजिक भरोसे और आर्थिक समानता की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक हालात सुधारना मुश्किल होगा।

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Saurabh Thakur
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Saurabh Thakur is the Founder and CEO of SamastipurNews.in, a prominent news website known for delivering reliable and comprehensive coverage of Samastipur and regional news. With over a decade of experience in the media industry, Saurabh has established himself as a seasoned journalist and dedicated news editor. ...और पढ़ें


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First Published : सितम्बर 30, 2025, 11:57 पूर्वाह्न IST

न्यूज़ / NCRB Crime Data: मणिपुर में महिलाओं, बच्चों और ST/SC पर बढ़ते अपराध का सच