पटना हाईकोर्ट ने गया के मिर्जा गालिब कॉलेज में 2020 में हुई 20 शिक्षकों की नियुक्ति को खारिज कर दिया है। अदालत ने पाया कि इस प्रक्रिया में बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 की धारा 57 (बी) का उल्लंघन हुआ है। यह मुद्दा 2020 में ही तब सामने आया था, जब कॉलेज के दो शिक्षकों, रीना कुमारी और मुजफ्फर आलम, ने नियुक्तियों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। चार वर्षों की लंबी सुनवाई के बाद, न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण ने 65 पृष्ठों का विस्तृत फैसला सुनाकर इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया, जिससे नियुक्त प्रक्रिया अवैध घोषित हो गई।
क्या है पूरा मामला?
2020 में कोरोना काल के दौरान मिर्जा गालिब कॉलेज में 20 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की गई थी। इस बहाली पर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे थे। कॉलेज के प्रोफेसर इंचार्ज अली हुसैन ने बताया कि हाईकोर्ट ने इस बहाली को रद्द कर दिया है। रीना कुमारी और मुजफ्फर आलम, जो पहले से एड हॉक आधार पर काम कर रहे थे, ने इस नियुक्ति को चुनौती दी थी। उनका आरोप था कि नियुक्ति प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया।
कोर्ट में याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं के वकील तेज बहादुर सिंह ने कोर्ट में कहा कि साक्षात्कार समिति का गठन नियमों के विरुद्ध हुआ था। बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 57-ए और 57-बी के अनुसार चयन समिति में विश्वविद्यालय के एक प्रतिनिधि का होना अनिवार्य है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। इसके अलावा, समिति के गठन के लिए विश्वविद्यालय से कोई सलाह नहीं ली गई थी, जो कि नियमों का उल्लंघन है।
बहाली में नियमों की अनदेखी
नियमों के अनुसार, विश्वविद्यालय को पैनल में पांच नाम देने होते हैं, और कॉलेज को उन पांच में से तीन नामों को चयन समिति में शामिल करना होता है। साथ ही, कॉलेज के प्राचार्य और विभागाध्यक्ष का समिति में होना भी अनिवार्य है। इसके बावजूद, मिर्जा गालिब कॉलेज ने इन नियमों का पालन नहीं किया। हालांकि, यह एक अल्पसंख्यक कॉलेज है, इसलिए इसके पास कुछ विशेष अधिकार हैं, जैसे कि यह तय करना कि किसे नौकरी पर रखा जाए।
सोशल मीडिया विवाद और FIR
जब यह नियुक्ति 2020 में हुई थी, तब इसका विरोध सोशल मीडिया पर भी हुआ। इस विरोध के जवाब में, कॉलेज की शासी निकाय ने आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। हालाँकि, कॉलेज के प्रोफेसर इंचार्ज अली हुसैन ने कहा कि यह मामला साइबर सेल में दर्ज एक अलग केस से जुड़ा था, जिसमें कुछ लोगों ने आपत्तिजनक बातें सोशल मीडिया पर लिखी थीं।
नए सिरे से होगी बहाली
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब कॉलेज को नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करनी होगी। प्रोफेसर अली हुसैन ने कहा कि कॉलेज जल्द ही सभी नियमों का पालन करते हुए वैकेंसी निकालेगा और प्रक्रिया को पूरा करेगा।
कॉलेज में कितने पद खाली?
मिर्जा गालिब कॉलेज में सरकार द्वारा स्वीकृत कुल 54 शिक्षकों के पद हैं, जबकि 76 पद गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए हैं। 20 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द होने के बाद अब कॉलेज में केवल 18 शिक्षक ही बचे हैं। ऐसे में कॉलेज जल्द ही नए शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू करेगा।
यह फैसला गया जिले के शिक्षा जगत में हलचल मचा रहा है, और इससे जुड़े सभी लोगों की नजर अब इस नए भर्ती प्रक्रिया पर टिकी हुई है।
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