गोपालगंज में पिता-पुत्र की आंखों की गई रोशनी: बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब के कहर का सामना करना पड़ रहा है। सीवान और सारण के बाद अब गोपालगंज में भी एक पिता-पुत्र बीमार हो गए हैं। घटना बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के बंधौली गांव की है, जहां लालदेव मांझी और उनके पुत्र प्रदीप मांझी को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने दोनों की हालत गंभीर बताते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया है।
मामला क्या है?
गोपालगंज में पिता-पुत्र की आंखों की गई रोशनी: दोनों पिता-पुत्र पशु व्यापार करते हैं। बुधवार की देर शाम वे सारण से लौटते समय बंधौली गांव के पास शराब का सेवन किए। इसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी और आंखों की रोशनी जाने लगी। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक शराब से बीमार होने की पुष्टि नहीं की है। गोपालगंज के डीएम प्रशांत सी.एच ने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है।
शराबबंदी का प्रभाव
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बावजूद, अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जहरीली शराब से 26 लोगों की मौत की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सीवान और छपरा में लगातार मौतों की खबरें आ रही हैं, जहां प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार 9 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन यह संख्या बढ़ती जा रही है। छपरा में मृतकों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है, और पानापुर के रसौली में भी दो लोगों की मौत हो गई है।
स्थिति गंभीर
सीवान के भगवानपुर थाना क्षेत्र और लकड़िगंज में संदिग्ध मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। सिविल सर्जन ने 20 लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है, जबकि कई लोग अस्पताल में इलाजरत हैं। इस घटना के बाद गांव में मातमी सन्नाटा छा गया है, और कुछ मृतकों को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया जा रहा है।
रोहिणी आचार्य की टिप्पणी
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए रोहिणी आचार्य ने कहा, “बिहार में जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला अनवरत जारी है। मुख्यमंत्री और सरकार की सख्ती के बावजूद अवैध शराब की आपूर्ति और निर्माण जारी है। आम जनों के जान की हानि के बावजूद बिहार का शासन-प्रशासन अवैध शराब कारोबारियों के सामने घुटने टेक रहा है। फिर भी मुख्यमंत्री का कहना है कि बिहार में शराबबंदी सफल है?” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा किए जा रहे झूठे दावों की पोल कई बार खुल चुकी है।
इस प्रकार, बिहार में जहरीली शराब की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है, और इसे नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक प्रयासों की आवश्यकता है।
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