India Foreign Currency Reserve: बताते चले की भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार तीसरे सप्ताह गिर गया है। 18 जुलाई 2025 को समाप्त सप्ताह में $1.183 बिलियन की गिरावट दर्ज की गई, जिससे कुल भंडार $695.489 बिलियन रह गया है। विदेशी मुद्रा आस्तियों (FCA) और SDR में भारी गिरावट इसकी प्रमुख वजह बताई जा रही है। हालांकि, राहत की बात यह रही कि सोने के भंडार में इस दौरान $150 मिलियन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए Foreign Currency Reserve एक सुरक्षा कवच की तरह होता है। इसमें आई गिरावट से यह सवाल उठने लगा है कि क्या भारत की वित्तीय सेहत पर खतरा मंडरा रहा है? इस खबर में हम समझेंगे कि इस गिरावट के पीछे की असली वजहें क्या हैं, इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और क्या यह गिरावट वास्तव में चिंता की बात है? पूरा विश्लेषण पढ़ें और जानें, क्या भारत आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है या अभी भी स्थिति नियंत्रण में है?
Foreign Currency Reserve में लगातार गिरावट – क्या है वजह?
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Foreign Currency Reserve में यह लगातार तीसरा सप्ताह है जब गिरावट देखी गई है। इससे पहले भी दो हफ्तों में $3.064 बिलियन और $2.477 बिलियन की गिरावट आई थी। यह संकेत करता है कि वैश्विक आर्थिक गतिविधियों और मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के कारण रिजर्व पर दबाव बना हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, यह गिरावट मुख्य रूप से Foreign Currency Assets (FCA) और Special Drawing Rights (SDR) में कमी के चलते आई है।
विदेशी मुद्रा आस्तियों (FCA) में बड़ी गिरावट

18 जुलाई को समाप्त सप्ताह में FCA में $1.201 बिलियन की गिरावट दर्ज की गई। इससे भारत का FCA भंडार घटकर $587.609 बिलियन रह गया है। FCA दरअसल देश के कुल फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व का सबसे बड़ा हिस्सा होता है, जिसमें डॉलर, यूरो, येन और पाउंड जैसी मुद्राएं शामिल होती हैं। यह आंकड़ा सीधे भारत की आयात क्षमताओं और बाहरी कर्ज चुकाने की शक्ति को दर्शाता है।
सोने का भंडार बढ़ा, आंशिक राहत
हालांकि स्वर्ण भंडार (Gold Reserve) के मोर्चे पर कुछ राहत देखने को मिली है। इस दौरान सोने के भंडार में $150 मिलियन की वृद्धि हुई है और अब यह बढ़कर $84.499 बिलियन हो गया है। एक सप्ताह पहले इसमें $737 मिलियन की गिरावट देखी गई थी। यह वृद्धि ऐसे समय में आई है जब वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है।
एसडीआर और IMF रिजर्व में भी गिरावट
रिज़र्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत के SDR (Special Drawing Rights) में भी $119 मिलियन की गिरावट हुई है और यह घटकर $18.683 बिलियन रह गया है। इसके अलावा IMF के पास जमा रिजर्व मुद्रा भंडार में $13 मिलियन की गिरावट आई, जो अब घटकर $4.698 बिलियन रह गया है। यह दर्शाता है कि वैश्विक स्तर पर भी आरक्षित संपत्तियों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
भारत का Foreign Currency Reserve बनाम पड़ोसी देश
जब भारत के Foreign Currency Reserve की तुलना पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार से की जाती है, तो भारत की स्थिति अब भी काफी मजबूत मानी जाती है। पाकिस्तान का Foreign Currency Reserve अभी भी $9 बिलियन से नीचे है, जो आयात के केवल 2 महीनों के लिए ही पर्याप्त है, वहीं भारत के पास 10 महीनों से अधिक का आयात कवर मौजूद है।
विशेषज्ञों की राय – यह गिरावट कितनी खतरनाक?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट फिलहाल चिंता का विषय नहीं है क्योंकि भारत के पास अब भी पर्याप्त रिजर्व है। लेकिन डॉलर की मजबूती, कच्चे तेल की कीमतें और वैश्विक ब्याज दरें आगे चलकर दबाव बना सकती हैं। इसके लिए सरकार और रिजर्व बैंक को सतर्क रहना होगा और समय-समय पर विदेशी निवेश नीति में सुधार लाना होगा।
भविष्य की स्थिति क्या कहती है?
अगर डॉलर मजबूत होता है और भारत का चालू खाता घाटा बढ़ता है, तो विदेशी मुद्रा भंडार पर और दबाव आ सकता है। हालांकि अभी की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत के पास अभी भी एक सुरक्षित फॉरेन करेंसी रिजर्व मौजूद है।
- IMF और विश्व बैंक की आगामी रिपोर्ट्स पर भारत की निगाहें टिकी हैं।
- डॉलर इंडेक्स में गिरावट से भारतीय मुद्रा को राहत मिलने की संभावना।
- भारत में FDI नीति में संभावित बदलाव से रिजर्व में बढ़ोतरी संभव।
Foreign Currency Reserve में लगातार तीसरे सप्ताह आई गिरावट यह बताती है कि वैश्विक आर्थिक दबाव भारत के रिजर्व को प्रभावित कर रहा है। हालांकि सोने के भंडार में वृद्धि से आंशिक राहत मिली है, लेकिन RBI और सरकार को सावधानी बरतनी होगी। यह खबर बिज़नेस व फ़ाइनेंस से जुड़ी हर उस पाठक के लिए जरूरी है जो देश की आर्थिक स्थिति को समझना चाहता है।
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