मुजफ्फरपुर की प्रतिभाशाली खिलाड़ी कुमारी शुभांगी सिन्हा ने यह साबित किया है कि आर्थिक तंगी किसी भी प्रतिभा के आगे बाधा नहीं बन सकती। "She Made Her Own Way" की इस कहानी में शुभांगी ने बैडमिंटन को अपने करियर के रूप में चुना है। अपने अदम्य साहस और मेहनत के बल पर, वह बैडमिंटन में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुकी हैं।
शुभांगी ने सेंट्रल स्कूल में सीनियर छात्राओं को बैडमिंटन खेलते हुए देखकर इस खेल में रुचि विकसित की। कोच नीरज कुमार और गणेश कुमार ने उन्हें भरपूर प्रोत्साहन दिया। आर्थिक संकट और चोटों का सामना करने के बावजूद, शुभांगी ने हार नहीं मानी और अब वह बच्चों को बैडमिंटन की ट्रेनिंग दे रही हैं।
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वह 22 से 25 अक्टूबर तक ओडिशा की संबलपुर यूनिवर्सिटी में होने वाली ईस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी बैडमिंटन चैंपियनशिप में बिहार विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करेंगी। इस प्रतियोगिता में 200 से अधिक विश्वविद्यालयों की भागीदारी होगी। शुभांगी ने 2012 में बैडमिंटन खेलना शुरू किया और 2014 में सब जूनियर स्टेट ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट में रनर अप रहीं।
उनकी उपलब्धियों में अंडर 15 और अंडर 17 जूनियर स्टेट बैडमिंटन चैंपियनशिप में सेमीफाइनल तक पहुंचना शामिल है। 2017 में, शुभांगी बिहार स्कूल स्टेट बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंगल्स में रनर और डबल्स में विजेता बनीं। 2022 में, ईस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी में बिहार विश्वविद्यालय की बैडमिंटन टीम से भाग लिया, हालाँकि फंडिंग की कमी के कारण उन्हें बिना भाड़ा-खर्चा के भेजा गया।
शुभांगी की मां, अर्चना सिन्हा ने आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद अपने बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन देने का काम शुरू किया। शुभांगी फिलहाल नोएडा में प्रकाश पादुकोण स्पोर्ट्स मैनेजमेंट और रामाज्ञा स्कूल में बैडमिंटन की ट्रेनिंग दे रही हैं।
शुभांगी सिन्हा की यह प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि सपने साकार करने के लिए कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। उनकी यात्रा यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
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