Chhath Puja 2023: यह पूजा कार्तिक मास की षष्ठी को मनाई जाएगी, जिसे हम सूर्य षष्ठी भी कहते हैं. इसे दिवाली के 6 दिनों बाद आयोजित किया जाता है. उत्तर भारत के राज्यों में जैसे कि बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में, यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन सूर्य नारायण देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले छठ की शुरुआत नहाय खाय के दिन के साथ होती है.
छठ पूजा का महत्व और व्रत: Chhath Puja 2023
दिन | तिथि | कार्य |
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पहला दिन | 17 नवंबर | नहाय-खाए की परंपरा |
दूसरा दिन | 18 नवंबर | खरना |
तीसरा दिन | 19 नवंबर | डूबते सूर्य देव को अर्घ्य |
चौथा दिन | 20 नवंबर | उगते सूर्य देव को अर्घ्य |
सूर्योदय का समय | शाम 5 बजकर 26 मिनट | |
सूर्योदय का समय | सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर |
Chhath Puja व्रत से संतान को दीर्घायु, सौभाग्य और खुशहाल जीवन की कामना की जाती है. महिलाएं Chhath Puja में 36 घंटे का बिना कुछ खाए पिए निर्जला व्रत रखती हैं. आइए हम सब जानते हैं कि इस साल छठ पूजा की शुरुआत कब से हो रही है और सूर्योदय का समय क्या है.
Chhath Puja 2023: छठ पूजा का पहला दिन – नहाय-खाए: 17 नवंबर:
दीवाली के 4 दिन बाद, यानी कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को, नहाय-खाए की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन विशेष रूप से रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है. इस बार Chhath Puja की शुरुआत 17 नवंबर से होगी. इस दिन घर की साफ सफाई करके घर को शुद्ध किया जाता है. इसके बाद छठव्रती स्नान कर, शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करती हैं. नहाय-खाए में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य के साथ बैठकर चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. व्रती के भोजन के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं.
Chhath Puja 2023: छठ पूजा का दूसरा दिन – खरना: 18 नवंबर
Chhath Puja 2023: दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं. इस दिन को खरना भी कहा जाता है. इस दिन सुबह व्रती स्नान कर, ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखती हैं. अगले दिन भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है. शाम को पूजा के लिए गुड़ (मीठा) से बनी खीर बनाई जाती है. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की सूखी लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है.
Chhath Puja 2023: छठ पूजा का तीसरा दिन – डूबते सूर्य को अर्घ्य: 19 नवंबर
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा की मुख्य तिथि होती है. व्रती इस दिन शाम के समय पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करती हैं. बांस की लकड़ी से बनी टोकरी (चित्ता) में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है. इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य देव को अर्घ्य देने घाट पर जाती हैं. संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है.
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- सूर्यास्त का समय: शाम 5 बजकर 26 मिनट.
Chhath Puja 2023: छठ पूजा का चौथा दिन – उगते सूर्य को अर्घ्य: 20 नवंबर
Chhath Puja 2023: चौथे दिन, यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह, उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले ही भक्त सूर्य नारायण देव की दर्शन के लिए पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं.
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- सूर्योदय का समय: सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर”