कटिहार: खाद की कालाबाजारी से परेशान किसानों का प्रदर्शन, सरकारी दामों की मांग तेज

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कटिहार: बिहार के कटिहार जिले में खाद की बढ़ती कीमतों और कालाबाजारी के खिलाफ किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने जिला कृषि पदाधिकारी का पुतला दहन कर प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की।

कालाबाजारी की समस्या से जूझ रहे किसान

रबी फसल की बुवाई के समय किसानों को डीएपी खाद के लिए सरकारी दर से ₹400 अधिक चुकाने को मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित ₹1350 की कीमत वाली डीएपी खाद कटिहार के बाजारों में ₹1700 तक बेची जा रही है। इसके अलावा, ₹266 में उपलब्ध यूरिया को ₹350 में खुलेआम बेचा जा रहा है।

प्रभावित क्षेत्र और किसान संघ का विरोध

यह समस्या कटिहार जिले के सभी ब्लॉक में देखने को मिल रही है। विशेष रूप से कोढ़ा प्रखंड के गेड़ाबाड़ी बाजार में किसानों ने एग्रो केयर के दुकानदारों पर कालाबाजारी का आरोप लगाया। भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए।

किसान नेताओं का बयान

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने कहा, “यह प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है कि हर साल किसानों को खाद की कालाबाजारी का सामना करना पड़ता है। जब शिकायत की जाती है, तो जिला कृषि पदाधिकारी गोलमोल जवाब देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।”

उत्तर बिहार प्रांत के महामंत्री मनोज गुप्ता ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि देश की आधी से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन आजादी के बाद से किसानों के लिए वास्तविक सुधार नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “हर सरकार ने किसानों के कल्याण के नाम पर नारे दिए, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए।”

स्थानीय प्रशासन पर आरोप

किसानों ने आरोप लगाया कि कोढ़ा और आसपास के इलाकों में खाद की कालाबाजारी खुलेआम चल रही है। इस गंभीर स्थिति के बावजूद प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

मांगें और आगे की योजना

प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप करने और खाद की कालाबाजारी रोकने की मांग की। साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

निष्कर्ष

बिहार में खाद की कालाबाजारी से किसानों की परेशानियां बढ़ रही हैं। प्रशासन को इस समस्या का समाधान निकालकर किसानों को राहत प्रदान करनी होगी, ताकि वे रबी फसल की बुवाई सही समय पर कर सकें।

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