Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर पेच गहराता जा रहा है। उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के हालिया बयानों ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। लगातार बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच भाजपा, लोजपा (रामविलास), हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के बीच सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति अब तक नहीं बन पाई है।
एनडीए में सीट बंटवारे पर पेच क्यों फंसा है?
एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बातचीत का दौर पिछले कई दिनों से जारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। बिहार चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने स्पष्ट कहा कि अब तक किसी भी सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी है। उन्होंने दिल्ली रवाना होने से पहले कहा कि “जो खबरें चल रही हैं कि एनडीए में सीटों का बंटवारा फाइनल हो गया है, वे पूरी तरह निराधार हैं।”
इस बीच भाजपा भी आंतरिक समीकरणों को साधने में जुटी है। दिल्ली में एनडीए की एक अहम बैठक प्रस्तावित है, जिसमें चिराग पासवान, जितन राम मांझी, और उपेंद्र कुशवाहा शामिल हो सकते हैं। यह बैठक आगामी Bihar Assembly Election 2025 के लिए सीट बंटवारे पर अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चिराग पासवान और मांझी के बयान से बढ़ी सियासी हलचल
दिल्ली में आयोजित लोजपा (रामविलास) की संसदीय बैठक में चिराग पासवान ने सीट शेयरिंग पर गोलमोल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला वही लेंगे, जिससे यह संकेत मिला कि अभी भी बातचीत जारी है। वहीं, हम प्रमुख जितन राम मांझी ने सोशल मीडिया पर एक काव्यात्मक पोस्ट डालकर सियासी हलचल बढ़ा दी। मांझी के पोस्ट “हो न्याय अगर तो आधा दो…” ने साफ कर दिया कि वे भी अपने हिस्से को लेकर गंभीर हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए के छोटे दल अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए दबाव की रणनीति अपना रहे हैं। यही वजह है कि अब यह विवाद सुर्खियों में है और मीडिया में इसे लेकर चर्चा तेज है। Bihar Chunav के अनुसार, दिल्ली की बैठक के बाद ही एनडीए में सीटों का समीकरण साफ हो सकेगा। वहीं, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा जल्द ही सीट बंटवारे पर औपचारिक घोषणा कर सकती है ताकि Bihar Chunav 2025 की तैयारियों में तेजी लाई जा सके।
सीट शेयरिंग विवाद का असर 2025 के चुनाव पर
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर एनडीए में यह मतभेद लंबे समय तक जारी रहता है, तो विपक्षी गठबंधन INDIA Bloc इसका राजनीतिक फायदा उठा सकता है। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण और गठबंधन की मजबूती ही चुनावी नतीजों को तय करती है। ऐसे में भाजपा के लिए यह जरूरी है कि वह सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर चले।
पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 243 सीटों में से 125 सीटें जीती थीं। अब 2025 में भाजपा को पुराने समीकरणों से आगे बढ़ते हुए नए चेहरों और रणनीतियों पर दांव लगाना पड़ सकता है। वहीं, जनता की निगाहें भी अब Bihar Election पर टिकी हुई हैं कि आखिर एनडीए गठबंधन में सीटों का बंटवारा कब और कैसे तय होगा।
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