पाकिस्तान के सिंध प्रांत की असेंबली में ‘बिहारी’ शब्द को लेकर बड़ा हंगामा हुआ। इस विवाद की शुरुआत तब हुई, जब असेंबली में कुछ नेताओं ने सिंध प्रांत के विधायक सैयद एजाज उल हक को ‘बिहारी’ कहकर मजाक उड़ाया। इस टिप्पणी से नाराज होकर सैयद एजाज उल हक ने इसे एक पूरे समुदाय का अपमान बताया और पाकिस्तान के निर्माण में बिहारियों की भूमिका को याद दिलाया।
विधायक ने क्या कहा?
सैयद एजाज उल हक ने जवाब देते हुए कहा:
- “बिहारी गाली नहीं है”: उन्होंने जोर देकर कहा कि यह शब्द एक गर्व का प्रतीक है और इसे गाली की तरह इस्तेमाल करना गलत है।
- “पाकिस्तान के निर्माण में बिहारियों का योगदान”: उन्होंने कहा कि बिहारियों ने पाकिस्तान बनाने में अपनी जान और संपत्ति की कुर्बानी दी।
- “इतिहास की याद दिलाई”: उन्होंने नेताओं को याद दिलाते हुए कहा, “आप भूल गए कि ये बिहारी कौन हैं? ये वही लोग हैं, जिनकी वजह से पाकिस्तान का अस्तित्व संभव हुआ।”
- “पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा”: विधायक ने बताया कि बांग्लादेश में आज भी वे बिहारी लोग पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हैं।
बिहारी समुदाय का योगदान
सैयद एजाज उल हक ने कहा कि “बंट के रहेगा हिंदुस्तान, बनकर रहेगा पाकिस्तान” का नारा बिहारियों ने ही बुलंद किया था। उन्होंने कहा कि यह भूलना उन कुर्बानियों का अपमान है, जो बिहारियों ने पाकिस्तान के निर्माण के लिए दी थीं।
‘हम पाकिस्तान साथ लाए थे’: विधायक
उन्होंने कहा, “आज तुम्हारे पास जितना है, उतना हम छोड़ के आए थे। पाकिस्तान कोई जागीर नहीं थी, इसे बिहारियों ने लड़कर हासिल किया।” उन्होंने बिहारियों को ‘गैरकानूनी’ करार देने और ‘बिहारी’ शब्द को गाली बताने की मानसिकता पर सवाल उठाया।
राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि
यह मामला सिर्फ एक टिप्पणी का नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान में बिहारी समुदाय के प्रति नजरिए का भी प्रतीक है। पाकिस्तान बनने के बाद कई बिहारी समुदाय के लोग पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में जाकर बसे। हालांकि, विभाजन के समय उनकी कुर्बानियां आज भी चर्चा का विषय हैं।
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