बिजली चोरी का पता : बिहार में स्मार्ट मीटर न केवल उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं, बल्कि बिजली विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो रहे हैं। अब स्मार्ट मीटर बिजली चोरी करने वालों की पहचान करने में मदद करेंगे। बिहार में 50 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर स्थापित किए जा चुके हैं, जो बिजली की खपत के डेटा को इकट्ठा कर रहे हैं। इन आंकड़ों की मदद से यह पता चल सकेगा कि किस इलाके में कितनी बिजली खपत हो रही है और बिजली चोरी के मामले कहां बढ़ रहे हैं।
विभाग की नई रणनीति
बिजली चोरी का पता: एक कंपनी के अधिकारी ने बताया कि ये आंकड़े विभाग को औचक छापेमारी करने में मदद करेंगे। अध्ययन के जरिए यह भी जानकारी प्राप्त होगी कि बिहार में बिजली की खपत कब अधिक हो रही है—दिन में या रात में। इससे विभाग को यह जानने में मदद मिलेगी कि कितने उपभोक्ता एयर कंडीशनर का उपयोग कर रहे हैं और इससे कुल बिजली खपत में उनकी हिस्सेदारी कितनी है।
टीओडी प्रणाली का लागू होना
अधिकारियों का कहना है कि इस डेटा के अध्ययन के बाद आम उपभोक्ताओं के लिए टीओडी (टाइम ऑफ डे) प्रणाली लागू की जा सकती है, जैसे कि औद्योगिक कनेक्शन के लिए है। इसका मतलब है कि दिन में बिजली की खपत करने पर 20% कम कीमत चुकानी होगी, जबकि पीक आवर के दौरान ज्यादा दर चुकानी पड़ेगी। वर्तमान में, पीक आवर से लेकर मध्य रात्रि तक बिहार में बिजली की खपत अधिक होती है, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक राशि अदा करनी पड़ती है।
निष्कर्ष
इस तरह की नई पहल से न केवल बिजली चोरी पर अंकुश लगेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी बिजली खपत के हिसाब से रियायतें मिल सकती हैं। स्मार्ट मीटर के जरिए डेटा संग्रहण से बिजली विभाग को अपनी योजना बनाने में सुविधा होगी, जिससे अंततः उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिल सकेगी।
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