Sawan 2025: आपको बताते चले की सावन 2025 का पावन महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है और इस बार सिर्फ 4 ही सावन सोमवार होंगे, जो भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का दुर्लभ अवसर माना जा रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन शिवभक्ति का सबसे पवित्र मास है। इस महीने में भगवान शंकर पर जल चढ़ाने, व्रत रखने और मंत्र जाप करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। खासकर देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम में हर साल लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं और कांवर यात्रा में शामिल होकर 105 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा तय करते हैं।
इस साल सावन सोमवार व्रत, शिव पूजन, और कांवर यात्रा के पीछे गहरे पौराणिक रहस्य छिपे हैं, जिन्हें जानकर आप भी चौंक जाएंगे। आइए जानते हैं सावन 2025 की तिथि, महत्व और वह कथा जिसने शिव को बनाया "मनोकामना पूर्ण करने वाला देव"।
Sawan 2025 की तारीख और विशेष महत्व
Sawan 2025 Festival Updates के अनुसार, इस बार 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से सावन का महीना आरंभ हो रहा है। सावन का समापन 08 अगस्त 2025 को होगा।
सावन में आने वाले सोमवार विशेष धार्मिक महत्व रखते हैं। वर्ष 2025 में चार सावन सोमवार होंगे — जो भगवान शिव को समर्पित व्रत और पूजा के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
सावन में भगवान शिव की पूजा क्यों होती है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था। मंथन से निकले विष (हलाहल) को शिवजी ने पी लिया और उसे अपने कंठ में धारण कर लिया।
इसीलिए उन्हें नीलकंठ महादेव कहा जाता है। इस तेज़ विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने शिवजी पर जलाभिषेक किया। तभी से सावन में जल चढ़ाने की परंपरा चलती आ रही है।
सावन सोमवार का व्रत और उसकी महिमा
Sawan Somwar 2025 में सोमवार के दिन उपवास रखने और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि माता पार्वती ने सावन के सोमवार को कठोर व्रत कर शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया था।
आज भी कुंवारी लड़कियाँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएँ सुखमय जीवन के लिए इस व्रत को करती हैं।
देवघर के बाबा वैद्यनाथ का महत्व

झारखंड का देवघर, जिसे बाबा नगरी भी कहा जाता है, में स्थित है बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग। पौराणिक कथा अनुसार, रावण ने भगवान शिव की तपस्या करके शिवलिंग को प्राप्त किया और लंका ले जाने के क्रम में देवघर में उसे धरती पर रख दिया।
यह वही स्थान है, जहाँ से आज भी लाखों भक्त सावन में जलाभिषेक करने आते हैं। यहां भगवान शिव को “वैद्यनाथ” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने रावण के कष्टों को दूर किया था।
सावन 2025 में कांवर यात्रा की शुरुआत
10 जुलाई 2025 से कांवर यात्रा शुरू होगी। बिहार के सुल्तानगंज से गंगा जल भरकर हजारों कांवरिये पैदल 105 किलोमीटर की यात्रा कर देवघर पहुंचते हैं।
इस यात्रा के दौरान भक्त “बोल बम” के नारे लगाते हुए चलते हैं और भक्ति में लीन रहते हैं। यह यात्रा शिवभक्ति, सेवा और आत्म-नियंत्रण का अद्भुत उदाहरण है।
देवघर क्यों कहलाता है ‘मनोकामना देव’ का धाम
देवघर के बाबा को ‘मनोकामना देव’ कहा जाता है क्योंकि यहां मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं। लाखों भक्त जलाभिषेक के साथ विशेष पूजा करते हैं। रावण की तरह अगर किसी की भावना सच्ची हो, तो बाबा हर इच्छा पूर्ण करते हैं। यही वजह है कि हर वर्ष यहां एक महीने का मेला लगता है जो सावन की शुरुआत के साथ ही शुरू हो जाता है।
सावन में क्या करें – क्या न करें
करें (DOs) | न करें (DON’Ts) |
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जलाभिषेक करें, व्रत रखें | मांस-मदिरा से दूर रहें |
शिव मंत्र “ॐ नमः शिवाय” जपें | अपवित्र वस्त्र न पहनें |
बेलपत्र, दूध, दही चढ़ाएं | तुलसी पत्र शिवलिंग पर न चढ़ाएं |
सोमवार का व्रत रखें | झूठ या छल न बोलें |
सावन में पूजा विधि कैसे करें?
- प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र अर्पित करें।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- सोमवार को व्रत रखें और शाम को शिव कथा पढ़ें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं या दान दें।
अन्य राज्यों में सावन की मान्यताएं
- उत्तर भारत में सावन को भक्ति और व्रत का महीना माना जाता है।
- उत्तराखंड और हिमाचल में मंदिरों में विशेष झांकी निकाली जाती है।
- बिहार-झारखंड में कांवर यात्रा का विशेष महत्व है।
- उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ मंदिर में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
Sawan 2025 Festival Updates के अनुसार यह महीना श्रद्धा, भक्ति, अनुशासन और शिव प्रेम का प्रतीक है। सावन में किया गया हर छोटा कार्य — जल चढ़ाना, व्रत रखना, मंत्र जाप — जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भर देता है। यह महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी आत्म-शुद्धि का अवसर है।
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