Samastipur Silai Prashikshan: जिले में जीविका समूह की दीदियों के लिए एक नया अवसर सामने आया है। हाल ही में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत ग्रामीण महिलाओं को सिलाई का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इस पहल का उद्देश्य है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और घर बैठे अपनी आय का स्रोत तैयार कर सकें। इस पहल से न केवल महिलाओं को रोजगार मिलेगा बल्कि जिले की सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
महिलाओं को नई दिशा देने की पहल

ग्रामीण समाज में महिलाओं की भूमिका अक्सर घरेलू कार्यों तक सीमित रही है। लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। सरकार और जीविका समूह लगातार ऐसे प्रयास कर रहे हैं जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें। सिलाई प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाएं ब्लाउज, कुर्ता, स्कूल ड्रेस, बैग आदि सिलना सीख रही हैं। यह प्रशिक्षण स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने में मददगार होगा।
इस कार्यक्रम में भाग लेने वाली कई महिलाओं ने बताया कि पहले वे केवल घर-गृहस्थी तक सीमित थीं। अब वे अपनी पहचान खुद बनाने को उत्साहित हैं। कई महिलाएं प्रशिक्षण के बाद छोटे-छोटे ऑर्डर भी लेने लगी हैं। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
Samastipur Silai Prashikshan से आत्मनिर्भरता की ओर
इस प्रशिक्षण से महिलाओं को न केवल नई कला सीखने का अवसर मिल रहा है बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी इजाफा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अब धीरे-धीरे उद्यमिता की ओर बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि सिलाई कार्य से प्रति माह 6 से 10 हजार रुपये तक की आमदनी आसानी से हो सकती है। इससे महिलाएं बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और परिवार की अन्य जरूरतें पूरी कर सकती हैं।
आने वाले समय में योजना यह है कि महिलाओं को तैयार वस्त्रों की आपूर्ति के लिए बाजार से जोड़ा जाए। इससे उत्पादन और आमदनी दोनों में वृद्धि होगी। यह पहल केवल आर्थिक विकास ही नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव का भी प्रतीक है।
बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान
राज्य सरकार लगातार ऐसे प्रयास कर रही है, जिनसे ग्रामीण महिलाओं को आय का नया साधन मिल सके। यह पहल गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। आज सिलाई प्रशिक्षण से जुड़ी महिलाएं न केवल खुद कमा रही हैं बल्कि परिवार को भी सहयोग दे रही हैं। यही कारण है कि गांव में अब महिलाएं परिवार के फैसलों में भी सक्रिय रूप से भाग लेने लगी हैं। इसके साथ ही, यह पहल उन युवतियों के लिए भी प्रेरणा है जो पढ़ाई के बाद रोजगार की तलाश में हैं। अब उनके लिए घर बैठे काम करने का सुनहरा मौका है।
आत्मनिर्भर भारत और महिलाओं की भूमिका

आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक प्रमुख उद्देश्य है कि समाज के हर वर्ग को आत्मनिर्भर बनाया जाए। महिलाओं को प्रशिक्षित करके उनके अंदर आत्मविश्वास पैदा करना इसी का हिस्सा है। समस्तीपुर में यह प्रयास अन्य जिलों के लिए भी उदाहरण बन सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम होते हैं, ऐसे में सिलाई जैसे कार्य महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि महिलाओं को सही प्रशिक्षण और बाजार उपलब्ध कराया जाए तो वे छोटे-छोटे उद्योग चला सकती हैं। इससे गांव की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आएगा और पलायन की समस्या भी कम होगी।
आने वाले समय की संभावनाएं
सरकार और जीविका समूह की योजना है कि प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को आसान ऋण सुविधा और आधुनिक सिलाई मशीन उपलब्ध कराई जाए। साथ ही, उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़कर प्रोडक्ट बेचने की भी सुविधा दी जाएगी। आज डिजिटल युग में ई-कॉमर्स के माध्यम से कोई भी महिला अपने बनाए कपड़े और प्रोडक्ट पूरे देश में बेच सकती है। यह अवसर ग्रामीण महिलाओं को शहरी बाजार से जोड़ देगा। अगर यह योजना सफल होती है तो समस्तीपुर समेत पूरे बिहार की हजारों महिलाएं रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बनेंगी।
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