Retail Price Inflation September 2025: खुदरा महंगाई दर 8 साल के न्यूनतम स्तर पर

By
On:
Follow Us
follow
Samastipur News

Your Trusted Source of Truth

Retail Price Inflation September 2025: सितंबर के महीने में खुदरा महंगाई दर घटकर 1.54% पर पहुच गई, जो करीब पिछले 8 सालों का निचला स्तर है। इससे पहले जून 2017 में महंगाई दर इतनी कम दर्ज की गई थी। इस गिरावट के मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कुछ वस्तुओं के दामों में कमी को मन जा रहा है। वही, अगस्त में रिटेल महंगाई 2.0% के स्तर पर थी।

रिटेल महंगाई के आधिकारिक आंकड़े सरकार ने 13 अक्टूबर को जारी किए हैं। रिजर्व बैंक (RBI) का लक्ष्य महंगाई दर को 4% के स्तर पर रखना है, जिसमें 2% ऊपर या नीचे की लचीलापन सीमा तय की गई है।

खाने-पीने की वस्तुयों में आई राहत

सितंबर में खाद्य वस्तुयों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जिससे कुल महंगाई दर पर सीधा असर पड़ा। महंगाई की टोकरी में करीब 50% हिस्सा खाने-पीने की चीजों का होता है। इनकी महीने-दर-महीने महंगाई दर माइनस 0.64% से घटकर माइनस 2.28% हो गई है।

ग्रामीण और शहरी इलाकों में भी कमी

ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर 1.69% से घटकर 1.07% पर पहुच गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 2.47% से घटकर 2.04% रही। इससे स्पष्ट है कि महंगाई में गिरावट का असर देशभर में समान रूप से देखा जा रहा है।

महंगाई कैसे बढ़ती या घटती है?

महंगाई का स्तर मुख्य रूप से डिमांड और सप्लाई के संतुलन पर निर्भर करता है। जब लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा होता है, तो वे ज़्यादा वस्तुएं और सेवाएं खरीदने लगते हैं। इससे वस्तुयों की मांग बढ़ती है और अगर सप्लाई यानि उपलब्धता उतनी तेजी से नहीं बढ़ती, तो बाजार में वस्तुयों की कीमतें बढ़ने लगती हैं-यही महंगाई हैं।

दूसरी ओर, जब डिमांड घाट जाती हाई या सप्लाई बढ़ जाती है, तो वस्तुयों के दाम गिरते हैं और महंगाई कम हो जाती हैं। सीधे शब्दों में कहें तो-

  • बाजार में पैसों का ज्यादा बहाव या चीजों की कमी महंगाई बढ़ाती है।
  • जबकि डिमांड घटने या सप्लाई बढ़ने से महंगाई घाट जाती है।

CPI से तय होती है महंगाई दर

महंगाई को मापने के लिए सरकार कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) का उपयोग करती है। cpi यह बताता है कि आम उपभोक्ता, यानि आप और हम रिटेल मार्केट में जिन वस्तुयों और सेवाओ के लिए भुगतान करते हैं, उनकी औसत कीमत समय के साथ कितनी बढ़ी या घटी है। सरल शब्दों में, CPI वह सूचकांक है जो हमारे रोज़मर्रा के खर्चों में आए बदलाव को दर्शाता है और इसे के आधार पर रिटेल महंगाई सात तय की जाती है।

कुल मिलाकर, सितंबर में रिटेल महंगाई का 8 साल के निचले स्तर पर पहुंचना आम लोगों के लिए राहत भरी खबर है। खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट ने बाजार को स्थिरता दी है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आने वाले महीनों में त्योहारी सीजन और मौसम के बदलाव के चलते कीमतों में कुछ उतार-चढ़ाव फिर देखने को मिल सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर इस संतुलन को कितने समय तक बनाए रख पाते हैं।

यह भी पढ़ें:- Post Office Scheme: PPF से हर महीने 61,000 रुपये पेंशन पाने का शानदार मौका

यह भी पढ़ें:- October Vegetable Farming Profit: 3 महीने में खेती से कमाएं मोटा पैसा, ये फसलें देंगी बंपर रिटर्न

POLL ✦
0 VOTES

महंगाई पर काबू: क्या यह राहत लंबी टिकेगी?

Readers' opinions
No opinions yet — be the first!

For Feedback - support@samastipurnews.in
< PREV NEXT >