Ratan Thiyam Passes Away: प्रसिद्ध मणिपुरी थिएटर निर्देशक रतन थियम का 77 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और मंगलवार देर रात मणिपुर के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी पहचान समकालीन रंगमंच में पारंपरिक मणिपुरी कलाओं को जोड़ने वाले क्रांतिकारी कलाकार के रूप में होती थी। उनके निधन से पूरे थिएटर जगत में शोक की लहर है।
रतन थियम सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि भारतीय रंगमंच की आत्मा थे। उन्होंने पारंपरिक गीत, नृत्य और प्रतीकों को समकालीन प्रस्तुति में ढालकर एक नई रंग-भाषा गढ़ी। ‘चक्रव्यूह’, ‘अंधा युग’ जैसे नाटक उनकी कारीगरी की मिसाल हैं। उन्होंने मणिपुर की सांस्कृतिक आत्मा को दुनिया भर में प्रस्तुत किया। ‘थिएटर ऑफ रूट्स’ आंदोलन में उनका योगदान आज भी प्रेरणास्त्रोत बना हुआ है। उनके जीवन, कला और दृष्टिकोण पर बात करना आज जरूरी हो गया है, क्योंकि उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को दिशा देगी और रंगमंच को जीवंत बनाए रखेगी। पर उनके चाहने वाले स्तब्ध हैं।
Ratan Thiyam कौन थे?
रतन थियम एक समर्पित थिएटर निर्देशक और कलाकार थे। उन्होंने पारंपरिक मणिपुरी कला को समकालीन रंगमंच से जोड़ा। उनका कार्य ‘थिएटर ऑफ रूट्स’ आंदोलन का हिस्सा था। उन्होंने chakravyuha by ratan thiyam, “चक्रव्यूह” नाटक जैसी कृतियाँ लिखीं और प्रस्तुत की। उनके नाटकों में मणिपुरी गीत, नृत्य, मार्शल आर्ट तथा सामाजिक सन्देश का सुंदर मिश्रण था।

उनका जन्म 20 जनवरी 1948 में हुआ। उन्होंने मणिपुरी नृत्य व चित्रकला की शिक्षा ली। 1976 में उन्होंने ‘कोरस रिपर्टरी थिएटर’ (Chorus Repertory Theatre) की स्थापना की। इसके माध्यम से उन्होंने दुनिया भर में प्रदर्शन किया।
Ratan Thiyam Passes Away इन पुरस्कारों से सम्मानित
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार – 1987
- पद्मश्री – 1989
- फ्रांस का “ला ग्रांडे मेडेल” – 1997
- जॉन डी. रॉकफेलर पुरस्कार – 2008
उन्होंने 2001 में पद्मश्री लौटाकर विरोध भी जताया।
उनके प्रमुख नाटक
- चक्रव्यूह (Chakravyuha)
- उत्तर प्रियदर्शी
- उरुभंगम
- अंधा युग
- चिंगलोन मपन तंपक अमा
इनमें से “चक्रव्यूह” खासकर चर्चित है। यह नाटक उनकी पहचान बन गया था क्योंकि इसने मणिपुरी कथा को आधुनिक रंगमंच में जगह दी।
रतन थियम का रंगमंच में योगदान
वे पारंपरिक मणिपुरी गीत, लोकनृत्य और मार्शल आर्ट को आधुनिक तरीके से मंचित करते थे। उन्होंने ‘थिएटर ऑफ रूट्स’ को मजबूत बनाया। उनका मकसद था भारत के मूल रंगकला को पुनः स्थापित करना। इसे उन्होंने पश्चिमी रंगमंच से अलग पहचान देने की दिशा में किया।
समकालीन प्रतिक्रिया
उनके निधन पर मणिपुर, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों की सरकारें और मुख्यमंत्री गहरा दुःख प्रकट कर चुके हैं।
- पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने लिखा: “उनके कार्यों में मणिपुर की आत्मा बसती थी।”
- मेघालय के मुख्यमंत्री ने रतन थियम को “दूरदर्शी” बताया।
- ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने मणिपुरी रंगमंच को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया।
- असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने भी उन्हें “थिएटर ऑफ रूट्स आंदोलन के प्रकाशपुंज” बताया।
रंगमंच जगत में उनका योगदान अब किसी परिचय का मोहताज नहीं। “ratan thiyam biography”, “ratan thiyam plays”, “ratan thiyam interview” जैसी खोजों पर उनकी जीवन-यात्रा और कला को जानने वाले कई लेख मिलते हैं। उनकी कला ने “ratan thiyam manipur” संस्कृति को दुनिया तक पहुंचाया। उनके इंटरव्यू में वे अक्सर कला और समाज पर अपने विचार साझा करते थे। उन्होंने “macbeth” जैसी प्रयोगात्मक प्रस्तुतियाँ भी कीं।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न 1: रतन थियम Passes Away क्यों खास खबर है?
उत्तर: वे एक जाने-माने रंगमंच अभिनेता और निर्देशक थे। मणिपुरी कला को समकालीन रंगमंच के साथ विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित रूप से पेश किया।
प्रश्न 2: उनके कौन से नाटक प्रसिद्ध रहे?
उत्तर: ‘चक्रव्यूह’, ‘अंधा युग’, ‘उरुभंगम’, ‘चिंगलोन मपन तंपक अमा’ जैसे प्रमुख नाटक उनकी पहचान बन गए।
प्रश्न 3: थियम ने कौन-कौन से पुरस्कार जीते?
उत्तर: उन्हें पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, फ्रांस का ला ग्रांडे मेडेल तथा जॉन डी. रॉकफेलर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रश्न 4: उन्होंने ‘थिएटर ऑफ रूट्स’ में क्या योगदान दिया?
उत्तर: उन्होंने पारंपरिक नाट्यशैली को पुनः जगाने की दिशा में काम किया और उसे समकालीन रंगमंच से जोड़ा।
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