Rahul Gandhi की ‘वोट अधिकार यात्रा’ 17 अगस्त से बिहार में शुरू, 23 जिलों से होकर गुज़रेगी

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Rahul Gandhi: बिहार की राजनीति में बड़ा हलचल लाने वाली यात्रा की शुरुआत होने जा रही है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी 17 अगस्त से बिहार में ‘वोट अधिकार यात्रा’ की शुरुआत करेंगे। यह यात्रा 23 जिलों से होकर गुजरेगी और 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में विशाल रैली के साथ समाप्त होगी। कांग्रेस का दावा है कि यह अभियान वोट बचाने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए है, वहीं भाजपा ने इसे घुसपैठियों का समर्थन करने वाली यात्रा बताया है।

यात्रा की शुरुआत और रूट मैप

Rahul Gandhi 17 अगस्त को रोहतास जिले के सासाराम शहर से इस राजनीतिक रैली की शुरुआत करेंगे। पहले चरण में 18 अगस्त को यह काफिला औरंगाबाद, 19 अगस्त को गया और नवादा पहुंचेगा। 20 अगस्त को यात्रा का विश्राम दिवस होगा। 21 अगस्त को यात्रा लखीसराय और शेखपुरा होते हुए आगे बढ़ेगी, 22 अगस्त को मुंगेर और भागलपुर, 23 अगस्त को कटिहार, 24 अगस्त को पूर्णिया और अररिया, और 26 अगस्त को सुपौल पहुंचेगी। इसके बाद 27 अगस्त को दरभंगा और मुजफ्फरपुर, 28 अगस्त को सीतामढ़ी और मोतिहारी, 29 अगस्त को बेतिया, गोपालगंज और सीवान, 30 अगस्त को छपरा और आरा का दौरा होगा। 1 सितंबर को पटना में आखिरी जनसभा होगी, जिसमें RJD, वाम दलों और कांग्रेस के शीर्ष नेता शामिल रहेंगे।

राजनीतिक माहौल और विपक्ष की रणनीति

यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और विपक्षी गठबंधन INDIA Bloc पहले से ही सक्रिय है। राहुल गांधी इस दौरे के ज़रिए न केवल कांग्रेस की पकड़ मज़बूत करना चाहते हैं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में अपना जनाधार भी बढ़ाना चाहते हैं।
इस यात्रा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, तेजस्वी यादव, और वामपंथी नेताओं की मौजूदगी से स्पष्ट है कि यह केवल एक दल की नहीं बल्कि साझा विपक्ष की रणनीति है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के लंबे रोडशो और जनसभाएं ग्रामीण वोट बैंक को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाती हैं, खासकर तब जब मुद्दा ‘वोट अधिकार’ जैसे संवेदनशील विषय से जुड़ा हो।

भाजपा का पलटवार और विवाद

जहां कांग्रेस इस यात्रा को लोकतंत्र बचाने की मुहिम बता रही है, वहीं भाजपा ने इसे ‘बांग्लादेशी घुसपैठिया बचाओ यात्रा’ कहकर निशाना साधा है। भाजपा के मुताबिक, यह सिर्फ एक चुनावी स्टंट है और असल मकसद वोट बैंक की राजनीति है। पिछले कुछ महीनों में Election Commission पर भी विपक्ष ने आरोप लगाए हैं कि मतदाता सूची में गड़बड़ियां की गईं और कई जीवित लोगों के नाम काट दिए गए। इस विवाद को राहुल गांधी अपनी रैलियों में लगातार उठा रहे हैं। कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह का कहना है कि भाजपा और चुनाव आयोग का नेक्सस अब जनता के सामने आ चुका है।

बिहार की राजनीति में कांग्रेस की स्थिति

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव बिहार में वोट अधिकार यात्रा के दौरान रोड शो करते हुए
Rahul Gandhi Yatra

बिहार की राजनीति में कांग्रेस लंबे समय से एक जूनियर पार्टनर की भूमिका निभा रही है। Bihar Politics में RJD और जेडीयू का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के आक्रामक कैंपेन के बाद पार्टी के लिए माहौल थोड़ा बदला है। ‘वोट अधिकार यात्रा’ को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे कांग्रेस अपना स्वतंत्र वोट बैंक तैयार कर सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कांग्रेस इस यात्रा के जरिए युवाओं और किसानों से जुड़ने में सफल होती है, तो विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन बेहतर हो सकता है।

वोट अधिकार का महत्व और ऐतिहासिक संदर्भ

भारत में ‘वोट का अधिकार’ सिर्फ संवैधानिक प्रावधान नहीं बल्कि लोकतंत्र की नींव है। आज़ादी के बाद से कई बार चुनाव सुधारों की मांग उठती रही है। 18 वर्ष की उम्र में मताधिकार, ईवीएम का इस्तेमाल, और VVPAT जैसे बदलाव इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के प्रयास हैं।
राहुल गांधी इस यात्रा में ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर मतदाताओं को उनके अधिकार और जिम्मेदारियों के बारे में बताएंगे।
Political Rally के जरिए इस तरह की जागरूकता बढ़ाना एक पुराना लेकिन असरदार तरीका है, जिसे पहले भी कई बड़े नेताओं ने अपनाया है।

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