PM Aasha Yojana 2025: 13 अक्टूबर 2025 – केंद्र सरकार ने किसानों की आर्थिक सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM Aasha Yojana) को नई गति देने की घोषणा की है। इस योजना के तहत दलहन उत्पादन बढ़ाने, किसानों की आय दोगुनी करने और ग्रामीण रोजगार को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार अब 2030 तक भारत को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के मिशन पर काम कर रही है।
PM Aasha Yojana क्या है?
PM Aasha Yojana यानी प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की शुरुआत सितंबर 2018 में हुई थी। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों विशेष रूप से दलहन, तिलहन और खोपरा पर उचित दाम दिलाना और बाजार की अनिश्चितता से बचाना है। 2024 में मोदी सरकार ने इस योजना का विस्तारित संस्करण (PM AASHA 2024 Extension) लॉन्च किया ताकि देश दालों में आत्मनिर्भर बने और किसानों की आमदनी बढ़े।
इस योजना के तीन मुख्य घटक हैं:
- मूल्य समर्थन योजना (PSS) – सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल खरीदेगी।
- मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS) – यदि बाजार मूल्य एमएसपी से कम है, तो अंतर की राशि सरकार देगी।
- बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) – फसल की कीमतें स्थिर रखने के लिए सरकारी हस्तक्षेप किया जाएगा।
इन तीनों योजनाओं से किसानों को Farmers Income Growth का सीधा लाभ मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायी मजबूती मिलेगी।
दाल आत्मनिर्भरता मिशन: NAFED और NCCF की भूमिका

Pulses Self-Reliance Mission के तहत केंद्र सरकार ने नेफेड (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) को किसानों से 100% दालों की सरकारी खरीद का जिम्मा सौंपा है। अब अरहर, उड़द और मसूर जैसी प्रमुख दालों की खरीद सीधे सरकारी एजेंसियों द्वारा की जाएगी ताकि किसानों को समय पर MSP मिले।
2025 तक यह व्यवस्था सभी राज्यों में लागू होगी। इससे किसानों को MSP Support सुनिश्चित होगा और दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त होगी। साथ ही यह मिशन भारत के Value Addition in Pulses उद्योग को भी नई दिशा देगा, जिससे किसानों को उत्पादन के बाद भी अतिरिक्त आमदनी हो सकेगी।
प्रोसेसिंग यूनिट्स और रोजगार सृजन
कृषि मंत्रालय के अनुसार, सरकार 1,000 Pulses Processing Units स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। हर यूनिट को ₹25 लाख तक की सब्सिडी मिलेगी। इससे न केवल Rural Employment बढ़ेगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए नए अवसर पैदा होंगे। दालों की पैकेजिंग, ग्रेडिंग और वैल्यू एडिशन से किसान अपने उत्पाद का पूरा मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, “क्लस्टर आधारित अप्रोच” अपनाने से Farmers Economic Security को नई मजबूती मिलेगी। यह कदम ग्रामीण भारत में “उत्पादन से प्रोसेसिंग तक” एकीकृत विकास मॉडल बनाएगा।
2030 तक का लक्ष्य और किसानों की नई उम्मीद
सरकार का लक्ष्य है कि 2030-31 तक देश में दलहन उत्पादन को 350 लाख टन तक बढ़ाया जाए। इसके साथ ही खेती का क्षेत्रफल 310 लाख हेक्टेयर तक और औसत उपज 1,130 किलो प्रति हेक्टेयर तक पहुंचाने की योजना है। यह कदम भारत को पूरी तरह से “Pulses Self-Reliant Nation” बनाने की दिशा में ऐतिहासिक साबित होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मिशन से किसानों को न केवल कृषि आधारित आर्थिक सुरक्षा (Farmers Economic Security) मिलेगी, बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता भी घटेगी। इससे देश की विदेशी मुद्रा की बचत होगी और कृषि क्षेत्र में स्थायी विकास संभव होगा।
किसानों की नई उड़ान: आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक आजीविका
PM Aasha Yojana किसानों को “अन्नदाता से आत्मनिर्भर उद्यमी” में बदलने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस योजना से किसानों को फसलों का उचित मूल्य, बाजार की स्थिरता और नई आय के अवसर मिलेंगे। यह सिर्फ एक सरकारी स्कीम नहीं बल्कि एक Modi Government Agriculture Scheme है जो ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा दे रही है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना अपने लक्ष्यों को समय पर पूरा करती है, तो भारत 2030 तक न सिर्फ दालों में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार और उद्यमिता के नए रास्ते खोलेगा। PM Aasha Yojana किसानों की आय बढ़ाने, देश को आत्मनिर्भर बनाने और कृषि क्षेत्र को आधुनिक दिशा देने की एक महत्वाकांक्षी योजना है। यह मिशन दाल उत्पादन से लेकर वैल्यू एडिशन और प्रोसेसिंग तक हर चरण में किसानों को सशक्त बनाएगा।
यह भी पढ़ें:- KCC Karj Mafi Yojana: क्या आप भी हैं कर्ज माफी के हकदार? तुरंत जानें अपना नाम और उठाएं इस योजना का लाभ
यह भी पढ़ें:- Solar Rooftop Yojana 2025: अब घर बैठे लगवाएं सोलर पैनल, बिजली बिल होगा शून्य