बिहार में जमीन सर्वेक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका को पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता, अधिवक्ता राजीव रंजन सिंह, ने अपनी याचिका को वापस ले लिया, जिसके बाद अदालत ने इसे खारिज कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि वर्तमान भूमि सर्वेक्षण में कई खामियां हैं, और यह भविष्य में कानूनी विवादों का कारण बन सकता है।
अदालत का निर्णय
मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने पाया कि याचिका में जरूरी विवरणों की कमी थी और आरोपों के समर्थन में पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए थे। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के दावे अस्पष्ट थे और कानूनी प्रक्रिया की स्पष्ट रूप से अनदेखी की गई थी।
क्या थे याचिकाकर्ता के आरोप?
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वर्तमान सर्वेक्षण प्रक्रिया में कानूनी तंत्र का पालन नहीं हो रहा है, जिससे भविष्य में जमीनी विवाद और बढ़ सकते हैं। उनका यह भी कहना था कि यह सर्वे भविष्य की संभावित कठिनाइयों को नजरअंदाज कर रहा है और इससे न्यायिक मुकदमों की संख्या में वृद्धि होने की आशंका है।
प्रस्तावित अभ्यावेदन
याचिकाकर्ता ने 7 सितंबर, 2024 को राज्य के मुख्य सचिव और राजस्व व भूमि सुधार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक अभ्यावेदन भी सौंपा था, जिसमें इस सर्वेक्षण प्रक्रिया पर आपत्ति जताई गई थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि कई जमीनी मामलों पर पहले से ही अदालत में सुनवाई चल रही है, और ऐसे में सर्वे से स्थिति और जटिल हो सकती है।
सर्वेक्षण प्रक्रिया जारी
अदालत के इस फैसले के बाद बिहार में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी। भूमि सुधार और राजस्व विभाग इस सर्वे को कानून के मुताबिक पूरा करने के लिए प्रयासरत है।
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