पटना: डीएसपी पर जमीन हथियाने और धमकाने का आरोप, FIR दर्ज

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पटना, बिहार: भागलपुर के ट्रैफिक डीएसपी आशीष सिंह एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। पटना के कदमकुआं थाना में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर पिस्तौल के बल पर जमीन हथियाने और दबाव डालने का गंभीर आरोप लगाया गया है।

आरोपों का विवरण

एफआईआर के मुताबिक, डीएसपी आशीष सिंह और उनकी रिश्तेदार साधना सिंह पर ससुर विजय कुमार सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि साधना सिंह और डीएसपी ने उन्हें धमकाकर सादा स्टाम्प पर साइन करने के लिए मजबूर किया। यह मामला पटना स्थित उनके घर को साधना सिंह के नाम करने को लेकर है।

विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि डीएसपी ने पिस्तौल दिखाकर दबाव बनाया और शारीरिक प्रताड़ना की। इस घटना के बाद मामला कोर्ट पहुंचा, जहां से पुलिस को जांच का आदेश मिला और कदमकुआं थाने में एफआईआर दर्ज की गई।

डीएसपी ने आरोपों को नकारा

इस पूरे प्रकरण पर डीएसपी आशीष सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, “मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं। मैं केवल अपनी भतीजी के पति से मिलने गया था, जिनकी तबीयत खराब थी। पारिवारिक विवाद हर जगह होते हैं, मुझे जानबूझकर फंसाया जा रहा है।”

डीएसपी आशीष सिंह: एक परिचय

आशीष सिंह 2019 में डीएसपी पद पर प्रोमोट हुए थे और वर्तमान में भागलपुर के ट्रैफिक विभाग में तैनात हैं। वे 1994 में सार्जेंट के रूप में पुलिस सेवा में शामिल हुए थे। उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रपति मेरिटोरियस सर्विस मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।

उनका पैतृक निवास मुंगेर जिले के संग्रामपुर थाना क्षेत्र के सुपौल जमुआ गांव में है। आशीष सिंह ने भागलपुर में अपनी पढ़ाई पूरी की और यहां रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की थी।

विवादों से जुड़े पहले भी रहे हैं चर्चे

आशीष सिंह ने अपने कार्यकाल में कई जिलों में सेवाएं दी हैं, जिनमें जहानाबाद, दरभंगा, पटना, भोजपुर, और जमुई जैसे स्थान शामिल हैं। हालांकि, उनका नाम इससे पहले भी विवादों से जुड़ चुका है।

मामले की जांच जारी

पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। संबंधित अधिकारियों का कहना है कि पूरे घटनाक्रम की निष्पक्षता से पड़ताल की जाएगी। यदि आरोप सही पाए गए, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला एक बार फिर से प्रशासनिक अधिकारियों की पारिवारिक और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाए रखने की चुनौती को उजागर करता है। जांच पूरी होने तक इस पर कोई अंतिम निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।

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