All India Renaissance Forum: समस्तीपुर, 17 अगस्त 2025 को जिले में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल की गई है। रविवार को संत कंबीर कॉलेज, कोरबद्धा परिसर में स्वामी विवेकानंद मेधा खोज परीक्षा-2025 (SVTHE-2025) का सफल आयोजन हुआ। इस परीक्षा का उद्देश्य ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को पहचानना और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए अवसर प्रदान करना है। आयोजन का नेतृत्व शिक्षा और सामाजिक उत्थान के लिए समर्पित संगठन ने किया।
परीक्षा में विद्यार्थियों का उत्साह और सहभागिता

समस्तीपुर और आस-पास के इलाकों से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने इस मेधा खोज परीक्षा में भाग लिया। इसमें खास तौर पर सरकारी विद्यालयों के बच्चे शामिल हुए। कक्षा 8वीं, 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों के लिए यह परीक्षा अवसर लेकर आई, ताकि वे अपनी प्रतिभा को साबित कर सकें।
यह पहल खास तौर पर उन विद्यार्थियों के लिए की गई है, जो आर्थिक तंगी के कारण कोचिंग या अन्य संसाधनों से वंचित रहते हैं। परीक्षा के प्रश्नपत्र में सामान्य ज्ञान, गणित, हिंदी और विज्ञान जैसे विषयों को शामिल किया गया। स्थानीय शिक्षकों का मानना है कि इस तरह की पहल से ग्रामीण शिक्षा को मजबूती मिलेगी और बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि भी बढ़ेगी।
परीक्षा परिणाम और पुरस्कार योजना
आयोजकों ने बताया कि इस मेधा खोज परीक्षा का परिणाम आगामी 7 सितम्बर को घोषित किया जाएगा। परिणाम के दिन प्रत्येक वर्ग से चुने गए 20 मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा।
चयनित विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, शैक्षणिक मार्गदर्शन और विशेष पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे। इससे न केवल बच्चों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि उनकी पढ़ाई का बोझ भी कम होगा। आयोजन समिति का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के छात्र अक्सर प्रतिभाशाली होते हैं, लेकिन उन्हें सही मंच और अवसर नहीं मिल पाता। इस परीक्षा के माध्यम से उनकी मेहनत को सम्मान देने का प्रयास किया जा रहा है।
शिक्षा और सामाजिक उत्थान से जुड़ी यह पहल क्यों है जरूरी?
आज भी बिहार के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की स्थिति चुनौतीपूर्ण है। कई बच्चे संसाधनों के अभाव में पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते। खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के सरकारी स्कूल विद्यार्थी अपनी प्रतिभा को साबित करने के बावजूद आगे की राह में कठिनाइयों का सामना करते हैं।
ऐसे में इस तरह की मेधा खोज परीक्षाएं उनके लिए नई उम्मीद लेकर आती हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रवृत्ति और शैक्षिक मार्गदर्शन जैसी पहल न सिर्फ बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाती हैं, बल्कि समाज में शिक्षा सुधार की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होती हैं। इससे ग्रामीण प्रतिभा विकास को भी बढ़ावा मिलता है।
समस्तीपुर और बिहार के लिए भविष्य की राह

समस्तीपुर जैसे जिलों में यदि इस तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं को नियमित रूप से आयोजित किया जाए तो शिक्षा का स्तर तेजी से सुधर सकता है। इस परीक्षा ने यह साबित कर दिया कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी किसी से कम नहीं हैं, बस उन्हें मंच और अवसर चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समाज और संगठन मिलकर बच्चों की पढ़ाई में सहयोग करें तो आने वाले समय में समस्तीपुर शिक्षा के क्षेत्र में एक नया इतिहास लिख सकता है। ग्रामीण इलाकों में Education Awareness बढ़ाने और Student Scholarship जैसी योजनाओं को जोड़ने से बिहार में सकारात्मक बदलाव संभव है।
मीडिया और समाज से सहयोग की अपील
आयोजन समिति ने सभी डिजिटल और प्रिंट मीडिया से अपील की है कि इस पहल को अधिक से अधिक प्रचारित करें। ताकि यह संदेश उन बच्चों तक पहुंचे जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत है। यह परीक्षा केवल एक आयोजन नहीं बल्कि ग्रामीण प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का माध्यम है।
समिति का मानना है कि यदि हर साल इस तरह की प्रतियोगिता को बड़े स्तर पर आयोजित किया जाए, तो Rural Talent सामने आएगा और बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनेगा। समाज के सहयोग से ही शिक्षा सुधार की यह यात्रा सफल हो सकती है।
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