Kedarnath Yatra 2025: नमस्कार मैं सौरभ ठाकुर samastipurnews.in से आपको बताते चले की Kedarnath Yatra 2025 का शुभारंभ हो चुका है और देशभर से लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड की ओर रवाना हो रहे हैं। इस पावन यात्रा की शुरुआत से पहले एक परंपरा है जो वर्षों से चली आ रही है – संकटमोचन हनुमान जी के दर्शन।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केदारनाथ धाम जाने से पहले लोग संकटमोचन मंदिर क्यों जाते हैं? क्या यह सिर्फ एक धार्मिक आस्था है या इसके पीछे कोई गहरी आध्यात्मिक सोच भी है?
Kedarnath Yatra 2025: क्यों बढ़ जाता है संकटमोचन मंदिर का महत्व?
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Kedarnath Yatra की शुरुआत गौरीकुंड से होती है, लेकिन इससे पहले एक महत्वपूर्ण पड़ाव है – संकटमोचन हनुमान मंदिर। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां हनुमान जी के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं।

ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी संकटमोचन हैं – यानी हर प्रकार के संकट को हरने वाले। केदारनाथ यात्रा एक कठिन ट्रैकिंग यात्रा होती है, जिसमें मौसम की मार, ऑक्सीजन की कमी और शारीरिक थकावट जैसी कई चुनौतियां होती हैं।
ऐसे में श्रद्धालु विश्वास करते हैं कि हनुमान जी की कृपा से यात्रा सरल और सुरक्षित हो जाती है। यही कारण है कि यात्रा से पहले उनका आशीर्वाद लेना अटूट परंपरा बन गई है।
Kedarnath Dham Yatra 2025: हनुमान और शिव भक्ति का अद्भुत संगम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी भगवान राम के अनन्य भक्त हैं और भगवान राम स्वयं भगवान शिव की पूजा करते थे। ऐसे में हनुमान और शिव के बीच एक आध्यात्मिक सेतु स्थापित होता है।
जब कोई भक्त संकटमोचन के दर्शन कर केदारनाथ यात्रा 2025 के लिए प्रस्थान करता है, तो वह केवल शारीरिक यात्रा नहीं कर रहा होता – यह एक आध्यात्मिक यात्रा होती है जो आत्मविश्वास, श्रद्धा और आस्था से भरी होती है।
कितना कठिन है Kedarnath Yatra 2025 का मार्ग?
केदारनाथ धाम समुद्र तल से करीब 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 17 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है। यह मार्ग न सिर्फ शारीरिक क्षमता की परीक्षा लेता है, बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी।

इस दौरान अचानक मौसम बिगड़ सकता है, बर्फबारी हो सकती है और ऑक्सीजन की कमी से सांस लेने में दिक्कत आ सकती है। ऐसे में श्रद्धालुओं को संबल मिलता है संकटमोचन हनुमान के आशीर्वाद से।
Kedarnath Yatra 2025: संकटमोचन मंदिर से ही होती है शुभ शुरुआत
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के पास स्थित यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यात्रा के मनोबल को बढ़ाने में भी मदद करता है। कई श्रद्धालु मानते हैं कि जब वे यहां दर्शन करते हैं, तब ही उनकी Kedarnath Dham Yatra की सच्ची शुरुआत होती है।
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