Karwa Chauth 2025: सुहागन महिलाओं द्वारा सबसे पूजा जाने और मनाने वाला खास व्रत है – करवा चौथ। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन शादीशुदा महिलाएं सुखी दांपत्य जीवन के लिए मां पार्वती की आराधना करती हैं| आइए जानते हैं करवा चौथ के व्रत का महत्व और 2025 वर्ष के करवा चौथ में क्या पूजन सामग्री को शामिल करें
करवा चौथ का क्या है महत्व?
करवा चौथ का व्रत हिन्दू धर्म में सुहागन स्त्रियों के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। यह व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर करवा माता और भगवान शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। व्रत का मुख्य उद्देश्य अपने पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करना होता है। दिनभर बिना अन्न-जल ग्रहण किए, महिलाएं शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करती हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक रूप से भी स्त्री समर्पण और प्रेम का प्रतीक है, जो हर वर्ष महिलाओं के श्रद्धा, आस्था और प्रेम का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है।
नोट: यह व्रत केवल सुहागन महिलाओं द्वारा किया जाता है।

Karwa Chauth 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ का व्रत अत्यंत शुभ योग में मनाया जाएगा। इस बार शुभ मुहूर्त 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इसी कारण वर्ष 2025 में करवा चौथ का पर्व 10 अक्टूबर (सोमवार) को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाएगा। पूजा और व्रत का समय शास्त्रीय गणना के अनुसार अत्यंत शुभ माना गया है, इसलिए इस दिन व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
करवा चौथ पूजन में शामिल करें ये सामग्री:
- अक्षत
- गंगाजल
- पानी का लोटा
- गोरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
- कपूर
- शक्कर
- दूध
- शुद्ध घी
- दही
- शहद
- धूप
- गेहूँ
- रूई
- छलनी
- सिंदूर
- मेहंदी
- मावा
- कंघा
- बिंदी
- चूड़ी
- बिछुआ
- लकड़ी की चौकी
- दीपक
- हल्दी, आदि|
हर साल की तरह इस साल भी करवा चौथ 2025 का व्रत सुहागन महिलाओं के आस्था, प्रेम और समर्पण का प्रतीक बनकर आएगा। करवा चौथ के इस पर्व का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से नही बल्कि सामाजिक ढंग से देखा जाए तो रिश्तों में आस्था और प्रेम की भावना दर्शाता है। इस दिन शादी शुदा स्त्रियाँ सुबह से शाम तक निर्जला व्रत रखती है जो रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने पर खत्म होता है। आआधुनिक युग में भी इस व्रत की काफी मान्यता है और हज़ारों लाखों हिंदू महिलाएं आज भी ये पर्व बड़े उत्साह से मनाती हैं जो की वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने का और स्त्री शक्ति का अद्भुत संयोजन है|
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