Cabinet Meeting Update: भारत के Export क्षेत्र को नई ऊर्जा देने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से, केंद्रीय मंत्रिमंडल अगले सप्ताह वित्त और बाजार सहायता से जुड़े महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर विचार कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, सरकार निर्यात संवर्धन मिशन के तहत निर्यातकों को बड़े पैमाने पर राहत प्रदान करने की योजना पर काम कर रही है। यह पहल विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को लक्षित करेगी, जो भारतीय निर्यात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
₹25,000 करोड़ की सहायता योजना पर फोकस
वाणिज्य मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2025 से 2031 तक की छह साल की अवधि के लिए निर्यातकों को लगभग 25,000 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करने वाले उपायों का एक प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्तावित मिशन का प्राथमिक लक्ष्य निर्यातकों को आसान और किफायती ऋण उपलब्ध कराना है, जिससे वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की अनिश्चितताओं और चुनौतियों, जैसे कि वैश्विक व्यापार शुल्कों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों, से निपट सकें।
मिशन की दो उप-योजनाएं
यह निर्यात संवर्धन मिशन दो प्रमुख उप-योजनाओं ‘निर्यात प्रोत्साहन’ और ‘निर्यात दिशा’ के माध्यम से लागू किया जाएगा। ‘निर्यात प्रोत्साहन’ योजना के तहत सरकार का उद्देश्य निर्यातकों को वित्तीय सहायता, सस्ती ब्याज दरों पर ऋण और ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए आसान क्रेडिट सुविधा उपलब्ध कराना है। वहीं ‘निर्यात दिशा’ योजना का लक्ष्य भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिंग, और वैश्विक बाजारों में पहुंच बढ़ाकर भारतीय निर्यात को प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है।
निर्यात प्रोत्साहन
इस योजना के तहत, सरकार का मुख्य ध्यान निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर है। इसमें आगामी छह वित्तीय वर्षों के लिए ब्याज समानीकरण समर्थन (Interest Equalisation Support) शामिल है, जिसके लिए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने और नकदी की कमी को दूर करने के लिए अन्य वित्तीय व्यवस्थाएं करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य निर्यातकों, खासकर छोटे व्यवसायों के लिए ऋण तक पहुँच को आसान बनाना है।
निर्यात दिशा
निर्यात दिशा योजना का लक्ष्य निर्यात की समग्र गुणवत्ता और बाजार पहुंच में सुधार करना है। इसके प्रस्तावित घटकों में निर्यात के गुणवत्ता मानकों के पालन के लिए समर्थन (लगभग 4,000 करोड़ रुपये), विदेशी बाजारों के विकास (4,000 करोड़ रुपये से अधिक) और निर्यात के लिए ब्रांडिंग, भंडारण और लॉजिस्टिक सुविधाओं को बेहतर बनाना शामिल है। इस योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू भारतीय उद्यमों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (Global Value Chains) में अधिक से अधिक एकीकृत करने के लिए उनकी क्षमता का निर्माण करना है।
निर्यात वृद्धि और स्थिरता का लक्ष्य
इस पहल का मुख्य उद्देश्य व्यापक, समावेशी और टिकाऊ निर्यात वृद्धि को बढ़ावा देना है। सरकार पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर उन मुख्य बाधाओं को दूर करने के नए उपाय खोज रही है जिनका सामना भारतीय निर्यातक दशकों से कर रहे हैं। यदि इन उपायों को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल जाती है, तो यह भारतीय निर्यातकों को एक मजबूत वित्तीय ढाँचा प्रदान करेगा, जिससे वे विश्व व्यापार में अधिक प्रतिस्पर्धात्मक रूप से भाग ले सकेंगे और देश के समग्र आर्थिक विकास में तेजी ला सकेंगे। यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ और वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
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